नई दिल्ली :
दिल्ली के दिलशाद गार्डन में एक महिला 19 फरवरी को सऊदी अरब जाती है और 10 मार्च को 19 साल के बेटे के साथ दिल्ली लौटती है। इस महिला का केस नंबर 10 कम्युनिटी ट्रांसमिशन के मामले में बॉलीवुड सिंगर कनिका कपूर से भी खौफनाक मामला है।
दिल्ली एयरपोर्ट पर महिला का भाई उसे रिसीव करता है। दो दिन बाद महिला को खांसी की शिकायत होती है और पहले नजदीक के एक डॉक्टर से दिखाने के बाद 15 मार्च को उसे जीटीबी अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर कर दिया गया। 17 मार्च को उसे कोरोना पॉजिटिव केस पाया गया।
इस महिला के भाई-मां को 20 मार्च को पॉजिटिव पाया गया। 21 मार्च को उसकी दो बेटियां भी कोरोना पॉजिटिव पाई गईं। जिस डॉक्टर को उस महिला ने सबसे पहले दिखाया था, 22 मार्च को वह भी पॉजिटिव पाया गया। अब ऐसे में सवाल उठता है कि जब इतने लोग पॉजिटिव मिले हैं तो इनसे और कितने लोग मिले होंगे।
जैसे डॉक्टर ही उसके बाद न जाने कितने मरीजों को देखा होगा। इसी तरह बेटा जिस-जिस से मिला, सभी रिस्क में हैं। जिस मोहल्ले में ये लोग रहते हैं, जिन दुकानदार से सामान खरीदे होंगे, वे सभी रिस्क में होंगे।
महिला का भाई इस दौरान क्वारंटीन हुए, लेकिन इससे पहले वे न जाने कितने लोगों से मिले। ये किसी महफिल में भी गए थे। इस तरह पूरा चेन खतरे के दायरे में है। इसी तरह भाई जहांगीरपुरी में रहते हैं, वह पता नहीं कितने लोगों से मिले होंगे। इस तरह यह केस कम्युनिटी ट्रांसमिशन का क्लासिक केस बन गया है और बालीवुड सिंगर कनिका कपूर के मामले से भी खौफनाक हो गया है। दिल्ली में अब तक जो 30 मामले सामने आए हैं, उसमें पांच केस इसी मामले से जुड़े रहे हैं। ( IANS )