संजय सिंह
वाराणसी। पिछले छह माह से जेल की सलाखों के पीछे निरुद्ध डाक्टर आलोक सिंह को अंतत: हाइकोर्ट की इलाहाबाद बेंच से बुधवार को जमानत मिल गयी। हाईकोर्ट के निर्देश पर बृहस्पतिवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा रिहाई का आदेश जिला जेल को प्राप्त हुआ जिसके बाद कल देश शाम डॉ आलोक सिंह की रिहाई हुईं। इंडियन डेंटल एसोसिएशन के जिला सचिव और सामाजिक कार्यो से जुड़े डाक्टर आलोक जुलाई माह में पत्नी रीना सिंह की संदिग्ध हालात में मौत के बाद विवादों के घेरे में आ गये थे। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उन्हें राहत मिल सकी है। हाइकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेर्दी और सूरज कुमार सिंह ने जस्टिस सिद्धार्थजी की बेंच के सामने पक्ष रखा। अभियोजन की तरफ से पुरजोर विरोध किया गया लेकिन दोनों पक्षों को सुनने और साक्ष्य का अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने जमानत का आधार पाते हुए प्रार्थनापत्र मंजूर कर लिया।
*पूरे परिवार को बनाया गया था आरोपित*
गौरतलब है कि दो जुलाई को रीना सिंह संदिग्ध हालात में घर की छत से नीचे गिर गयी थी। घटना के बाद आलोक उन्हें लेकर निजी अस्पताल पहुंचे जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। सूचना पुलिस को दी गयी जिसके बाद पोस्टमार्टम हुआ। अंतिम संस्कार के पहले मायके वालों ने हंगामा कर दिया। हत्या के आरोप लगाने के साथ दोबारा पोस्टमार्टम तक की माग शुरू कर दी। दबाव में आयी पुलिस ने दो दिन बाद सीधे हत्या की धाराओं के तहत मुकदमा कायम कर लिया। सिर्फ आलोक ही नहीं उनके वृद्ध माता-पिता तक को ‘मुल्जिम’ बना दिया गया। इसके बाद डाक्टर आलोक ने 25 जुलाई को कैंट थाने में आत्मसमर्पण कर दिया।
*अनिच्छित हत्या में थी चार्जशीट*
पुलिस ने ‘मीडिया ट्रायल’ के चलते भले ही सीधे तौर पर हत्या का मुकदमा कायम किया था लेकिन क्राइम सीन रिक्रियेशन से लेकर दूसरी जांच के परिणाम सामने आये तो आरोप पत्र अनिच्छित हत्या की धाराओं के तहत भेजा था। इसमें सिर्फ डाक्टर आलोक को आरोपित बनाया गया था जबकि सास और श्वसुर का नाम निकाल दिया गया। था।