जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से संदिग्ध व्रत-पर्व निर्णय (वसन्त पंचमी)

जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से संदिग्ध व्रत-पर्व निर्णय (वसन्त पंचमी)

माघमास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ‘वसन्तपंचमी’ पर्व मनाने का विधान है। इस दिन पूर्वाह्न में रति एवं कामदेव की पूजा का विधान है-

“माघमासे सुरश्रेष्ठ शुक्लायां पंचमीतिथौ।
रति-कामौ तु सम्पूज्य कर्त्तव्यः
सुमहोत्सवः।।” (पुराण समुच्चयः) ।

पूर्वाह्णव्यापिनी पंचमी के दिन ही यह पर्व मनाया जाता है। यदि केवल दूसरे ही दिन पूर्वाह्णव्यापिनी पंचमी हो तभी यह व्रत दूसरे दिन होता है, अन्यथा प्रत्येक स्थिति में पहिले ही दिन यह मनाया जाता
है-

“इयं परत्रैव पूर्वाह्णव्याप्तौ परा, अन्यथा पूर्वैव ” – (धर्मसिन्धुः)।

युग्मवाक्य भी इसी मत का समर्थक है।
इस वर्ष पंचमी 29 और 30 जनवरी 20 को दोनों ही दिन पूर्वाह्नव्यापिनी है। अत: इस वर्ष यह पर्व चतुर्थीविद्धा पंचमी (30 जनवरी 20) को ही लिखा गया है। उदयव्यापिनी तिथि यहां मान्य होंगी।

Translate »