जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से तलाक और पुनर्विवाह योग—-
तलाक :–
सप्तम स्थान, शुक्र व सप्तमेश पाप प्रभाव में हो, सप्तम
स्थान में मंगल, शनि, राहु, केतु, हर्षल, नेपच्यून जैसे
ग्रहों की दृष्टि हो या ये ग्रह सप्तम स्थान से
रहित हो तो वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण होकर
तलाक तक की नौबत आती है। विशेष
कर राहु-केतु, मंगल, नेपच्यून तलाक व संबंध विच्छेद कराते
हैं।
अकेला शनि (निर्बल) तलाक तो नहीं कराता मगर
वैवाहिक जीवन को नारकीय बना देता है।
पुनर्विवाह योग :–
पुनर्विवाह देखने के लिए नवम स्थान का विचार किया जाता है।
सप्तम स्थान व शुक्र पाप प्रभाव में हो, मगर नवम स्थान शुभ
हो, प्रबल हो तो पुनर्विवाह योग बन जाता है। विशेषकर
यदि शुक्र राहु-केतु-नेपच्यून के साथ हो तो वैवाहिक
जीवन में दरार-संशय निर्माण हो, पुनर्विवाह योग
बनाता है।
विशेष :–
यह ध्यान रखना चाहिए कि मंगल, राहु, केतु, नेपच्यून
तीव्र गति से कार्य करते हैं अर्थात
शीघ्र बुरा-अच्छा फल देते हैं मगर शनि देर से
प्रभाव दिखाता है। यदि शुक्र व बुध नवम भाव के
स्वामी हो तो पुनर्विवाह योग
जल्दी बनता है।