बेहतर जीवन जीने के लिए नशामुक्ति का मार्ग अपनाना होगा:आर0के0 विश्वजीत सिंह,

राष्ट्रीय युवा उत्सव में आयोजित ‘सुविचार एवं युवा समागम’ कार्यक्रम में नशा विरोधी अभियान के आर0के0 विश्वजीत सिंह, इसरो वैज्ञानिक रितु करिधाल और आहार विशेषज्ञ ट्विंकल कंसल ने युवाओं को प्रोत्साहित किया

अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 15 जनवरी। राष्ट्रीय युवा उत्सव के चैथे दिन आज इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में स्वामी विवेकानंद पंडाल में ‘सुविचार एवं युवा समागम’ कार्यक्रम में तीन प्रमुख वक्ताओं ने अलग-अलग तीन विषयों पर युवाओं को संबोधित किया। सबसे पहले इम्फाल से पधारे वक्ता श्री आर0के0 विश्वजीत सिंह ने नशा विरोधी अभियान और ‘नशे से कैसे युवाओं को बचाया जाए’ विषय पर विशेष चर्चा की। दूसरे वक्ता के रूप में इसरो की वैज्ञानिक सुश्री रितु करिधाल ने युवाओं से देश में चल रहे शोध कार्यों और सेटेलाइट कार्यक्रमों के बारे में चर्चा की। तीसरे वक्ता के रूप में आहार विशेषज्ञ ट्विंकल कंसल ने ‘स्वास्थ्य प्रशिक्षण’ और ‘स्वास्थ्य का क्या महत्व है’ विषय पर युवाओं से चर्चा की।
कार्यक्रम के आरंभ में राष्ट्रीय सेवा योजना के संघ सेवकों को संबोधित करते हुए नशा विरोधी अभियान के आर के विश्वजीत सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी जैसे लोग हमारे युवाओं के पथ प्रदर्शक रहे हैं, इसलिए हमें हमेशा अपने जीवन में महात्मा गांधी जी का जीवन दर्शन अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पूरी शिद्दत के साथ स्वस्थ जीवन के लिए नशा मुक्ति का अभियान चलाया। उन्होंने कहा कि हमारा जीवन नशा मुक्ति के कारण संक्रमित हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमें एक वृक्ष में लगे फल की भांति पूरा जीवन जीने की कोशिश करनी चाहिए। जब फल पूरी तरह पक जाता है तब वह जमीन पर गिरता है। इससे हमें यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि हमें अपना पूरा जीवन व्यतीत कर इस दुनिया से विदा होना चाहिए और इसके लिए हमें बेहतर जीवन जीने के लिए नशामुक्ति का मार्ग अपनाना होगा।
श्री सिंह ने कहा कि जो युवक नशे के शिकार हो चुके हैं, उन्हें आध्यात्म के माध्यम से अपने आत्मबल को बढ़ावा देना चाहिए और अपने जीवन में आशा की किरणों का संचार होने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि नशे के शिकार वही होते हैं जिनके जीवन में आशा का संचार नहीं होता। उन्होंने आत्मबल जागृति के बाद नशे से बचने की बात कही। उन्होंने वर्तमान में छोटे बच्चों के नशे का शिकार होने पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि विद्यालय स्तर पर उन्हें बेहतर शिक्षा व्यवस्था प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति अभियान में माता-पिता की भूमिका महत्वपूर्ण है। माता-पिता अपने बच्चे को अच्छी संगति प्रदान करें और उनके जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भरने की कोशिश करें। उन्होंने कहा कि नियमित अभ्यास, समसामयिक भोजन, नियमित विश्राम, सही नींद के साथ यदि हम बेहतर जीवन जीते हैं तो नशा सेवन का कोई कारण नहीं है। उन्होंने नॉलेज और विश्राम के अंतर को भी समझाया और उन्होंने कहा कि हमें बेहतर जीवन जीने के लिए फलों का सेवन करना चाहिए।
दूसरे वक्ता के रूप में इसरो की वैज्ञानिक सुश्री रितु करिधाल ने युवाओं को देश में चल रहे अंतरिक्ष कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत ने जब पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट का प्रक्षेपण किया था, तब हमारी स्थिति कैसी थी, तब हमारे संसाधन कम थे और हमने लगातार प्रयास के बाद सफलता हासिल की। उन्होंने कहा कि आज भारत ने पृथ्वी से चंद्रमा और चंद्रमा से मंगल तक की यात्रा पूरी कर ली है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे सही शिक्षा अर्जित कर सही दिशा में प्रयास करें। उन्होंने कहा कि युवा हमारे सेटेलाइट कार्यक्रम से जुड़ंे, हमारे अनुसंधान के कार्यक्रमों से जुड़ें। उन्होंने बताया कि समय-समय पर उसकी रिक्तियां निकलती है जिसमें वह आवेदन कर इन संस्थानों से जुड़ सकते हैं।
आहार विशेषज्ञ ट्विंकल कंसल ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आज हम सब मोबाइल के रूप में एक बड़ा बम अपने हाथ में लिए घूम रहे हैं। हम बचपन से ही जानते हैं कि जल्दी सोने और जागने से हमारा स्वास्थ्य बेहतर होता है। इसके प्रति हमारे पूर्वजों ने हमें उत्साहित भी किया लेकिन आज मोबाइल के कारण हम ना तो जल्दी सो पाते हैं और न जल्दी जागते हैं। यही कारण है कि हमें स्वास्थ्य की समस्या उत्पन्न हो रही है। आज हम इस टेक्नोलॉजी के कारण ही कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें मोबाइल का प्रयोग सोने से एक घंटा पहले, खाना खाने के वक्त और जब हम किसी से बात कर रहे हैं तो हमें मोबाइल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से हम अनिद्रा के शिकार हो जाते हैं और हमें कई प्रकार की बीमारियां होती हैं। उन्होंने जीवन में उपवास के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

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