दुद्धी के निवासियों के लिए कनहर विस्थापितों की अपील

समर जायसवाल –

कनहर विस्थापितों को मिले न्याय – दिनकर कपूर
मित्रो
कनहर विस्थापित गावों में दहशत और आतंक का माहौल लगातार बना हुआ है। यह माहौल बदलना चाहिए और कनहर विस्थापितों के सवाल हल होने चाहिए। दिन के उजाले की तरह बात बहुत साफ है कनहर विस्थापितों ने कभी भी दुद्धी के विकास के लिए अहम इस कनहर सिचांई परियोजना का विरोध नहीं किया था। उनका तो महज इतना कहना था कि 2013 में बने भूमि अधिग्रहण कानून का अनुपालन हो और विस्थापितों के सवाल इसके प्रावधानों के तहत हल किए जाए। जो विस्थापित परिवारों के नाम 1044 की मूल सूची में छूट गए है उनके तीन पीढ़ी तक के नाम जोड़े जाए। कई टोले व मकान ऐसे है जो चारों तरफ से पानी में डूब जायेगें उन्हें भी विस्थापित श्रेणी में शामिल कर मुआवजा दिया जाए। वनाधिकार कानून का कनहर क्षेत्र में अनुपालन हो और जो लोग धारा 20 की जंगल की जमीन पर बसे है या उन्हें पट्टे मिले है, उन्हें इस कानून के तहत इन जमीनों का भी मुआवजा दिया जाए। हर विस्थापित परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास निर्मित कर आवास दिया जाए।
इन बातों को स्वराज अभियान के राष्ट्रीय नेता अखिलेन्द्र प्रताप सिंह के मुख्यमंत्री को भेजे पत्रक में खुद मुख्यमंत्री कार्यालय के सचिव ने स्वीकार किया था कि यह विधि सम्मत मांग है और इन पर विचार कर इसे हल किया जायेगा। लेकिन दो वर्ष बीत गए कार्यवाही के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ। यहां तक कि अभी सब लोगों को सरकार द्वारा घोषित पैकेज भी नहीं दिया गया है। अखिलेन्द्र के पत्र पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने यह भी कहा था कि जिन विस्थापित लोगों के नाम मुकदमों में पुलिस ने डाल दिए है और जो निर्दोष है उनका नाम जांच कराकर एफआईआर से निकाल दिया जायेगा। लेकिन इस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है। उलटा जो कोई बोलता है उस पर गुण्डा एक्ट लगाकर जिला बदर कर दिया जाता है और शांतिभंग की आशंका में लगातार मुकदमें कायम किए जा रहे है।
यहां काम कर रहे मजदूरों का तो हाल बेहाल है। हाल ही में जनपद के श्रम बंधु व यू0 पी0 वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर के नेतृत्व में गयी टीम ने वहां देखा कि मजदूरों से महज 150 से लेकर 200 रूपए में काम कराया जा रहा है। सरकार द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी अकुशल की 318.42, अर्द्धकुशल की 350.28 और कुशल की 392.35 रूपए नहीं दी जा रही है। स्थिति इतनी भयावह है कि ईपीएफ और ईएसआई की बात तो छोड़ दें मजदूरों की सुरक्षा का कोई इतंजाम नहीं है उन्हें सुरक्षा उपकरण नहीं दिए जाते और निर्माण श्रमिक कर्मकार कल्याण बोर्ड में भी उनका पंजीकरण नहीं कराया गया है। सब मिला जुलाकर कहा जाए तो कनहर विस्थापितों को उनके सवालों को हल करने का सब्जबाग दिखाकर सत्ता में आयी भाजपा-अपना दल सरकार में विस्थापितों की स्थिति और भी बदतर हो गयी है।
इन स्थितियों में हम दुद्धी के निवासियों से अपील करेगें कि अति पिछड़े दुद्धी के विकास के लिए आवश्यक कनहर सिंचाई परियोजना के निर्माण के साथ-साथ विस्थापितों की विधि सम्मत मांगों को हल कराने और डूब क्षेत्र में आतंक व दहशत का माहौल खत्म कर लोकतांत्रिक माहौल बनाने के लिए शासन-प्रशासन व सरकार पर अपने स्तर से दबाव डाले, चल रहे हस्ताक्षर अभियान में हस्ताक्षर करें जिससे इस आवाज को शासन स्तर तक पहुंचाया जा सके ताकि विस्थापितों को न्याय और अधिकार हासिल हो सके और कनहर बांध का निर्माण भी बेहतर तरीके से हो सके।

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