लखनऊ: ।
पिछले 02 वर्ष में नमामि गंगे के अंतर्गत कानपुर शहर में अनेक कार्य हुए है,जिससे गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने में मदद मिली है। नमामि गंगे, नगर विकास से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज 95 प्रतिशत गंदा/सीवर का पानी शोधन के पश्चात गंगा नदी में जाता है। 90 (नब्बे ) वर्ष पुरानी ब्रिटिश काल की ष्ट्रंक ब्रिक सीवरष् 6.5 ज्ञड का पुनरुद्धार किया गया, जिसमें 03 ज्ञड की लाइनिंग (अस्तर कोटिंग) की गई । इसमें 2.1 ज्ञड पापुलर धर्मकांटे से जाजमऊ ैज्च् तक 7.5 फीट व्यास का कार्य हुआ है। ैठड योजना के अंतर्गत 15090 व्यक्तिगत शौचालय, 192 स्थानों पर 1292 सीटों के सामुदायिक शौचालय बने है। 02 वर्ष में 80 ज्ञड नवीन सीवर लाइन बिछाई गई तथा 143 ज्ञड अक्रियाशील सीवर लाइन की सफाई कराकर क्रियाशील बनाया गया। 128 बर्ष पुराने शीशामऊ नाले से 02 वर्ष पूर्व 14 करोड़ लीटर अशोधित उत्प्रवाह होता था और गंगा नदी में मिलता था। यह कानपुर नगर का 1ध्3 सीवेज था। आज यह नाला 100ः टैप किया जा चुका है।
नमामि गंगे, नगर विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार 02 वर्ष पूर्व शहर में 18 करोड़ लीटर गंदे पानी में से मात्र 2.5 करोड़ लीटर (15 प्रतिशत) को ही टैप किया गया था। अर्थात लगभग 16 करोड़ लीटर (85 प्रतिशत) गंदा पानी (अशोधित) सीधे गंगा नदी में जाता था। विगत 02 वर्षों में नमामि गंगे योजना के अंतर्गत मात्र 0.95 करोड़ लीटर अशोधित पानी गंगा में जा रहा है, जो सम्पूर्ण उत्प्रवाह का 5 प्रतिशत है। अब 95 प्रतिशत शोधित किया जा चुका है। प्रदेश सरकार जनसहयोग से गंगा नदी को पूर्ण रूप से स्वच्छ व साफ करने के लिए कृतसंकल्पित है।