वाराणसी ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण का मसला अदालत पहुंचा
याचिका पर सिविल जज के यहां पर ९ जनवरी को होगी सुनवाई
वाराणसी। सुप्रीम कोर्ट का अयोध्या विवाद पर निर्णय के बाद अब ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर विवाद को लेकर सुनवाई शुरू हो गयी है। पूरे परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के लिए अदालत में याचिका स्वीकार की गयी है। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू त्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से प्रार्थना पत्र सिविल जज ( सीनियर डिवीजन-फास्ट ट्रैक कोर्ट) सुधा यादव की कोर्ट में दिया गया है, जिस पर 9 जनवरी को सुनवाई होगी।
ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर भी विवाद में है। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के पक्षकर पंडित सोमनाथ व्यास तथा अन्य ने ज्ञानवापी में नये मंदिर का निर्माण व हिन्दुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने के लिए 1991 में मुकदमा दायर किया था। मुकदमे में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद तथा अन्य विपक्षी है। मुकदमा दाखिल करने वाले दो वादी पंडित सोमनाथ व्यास व डा.रामरंग शर्मा की पूर्व में ही मृत्यु हो चुकी है। इसके बाद वादी पंडित सोमनाथ व्यास की जगह इस मुकदमे का प्रतिनिधित्व वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने प्रार्थना पत्र में कहा कि विश्ववेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है।
उन्होंने अपनी दलील में कहा कि बहुत से ऐसे तथ्य है, जिनके लिए वृहद स्तर पर साक्ष्य की जरूरत होगी। यदि साक्ष्य नहीं होगा तो यह चीजे साबित नहीं हो पायेंगी। उन्होंने कोर्ट से संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर तथा कथित विवादित स्थल की भौतिक व पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा राडार तकनीक, परिसर की खोदाई करार कर रिपोर्ट मांगने की अपील की है। उन्होंने गुबंदों, तहखानों आदि की भी एएसआई से रिपोर्ट मांगने की अपील की है। वादी की याचिका पर कोर्ट ने विपक्षी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद और सुन्नी वक्फ बोर्ड (लखनऊ) से आपत्ति तलब की है।
1991 में दाखिल हुआ था मुकदमा, 1998 में हाईकोर्ट से लग गया था स्टे*
विवादित परिसर को लेकर 1991 में मुकदमा दायर किया गया था इसके बाद हाईकोर्ट में 1998 में स्टे लग गया था इसके बाद से सुनवाई स्थगित हो गयी थी। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद इसी के अनुपाल में यहां पर फिर से सुनवाई शुरू हो गयी है अब सबकी निगाहें 9 जनवरी को होने वाली सुनवाई पर लगी है।