उत्तर प्रदेश में लड़कियाँ और महिलाएँ सुरक्षित नहीं हैं, मुख्यमंत्री सामने आएं और जिम्मेदारी लें:प्रियंका गांधी

लखनऊ 6 दिसम्बर 2019। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी लखनऊ में महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी संगठन और आगामी कार्यक्रम और योजनाओं को लेकर बैठक कर रहीं हैं। महासचिव प्रियंका गांधी लखनऊ कांग्रेस मुख्यालय पर बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर उनको पुष्पांजलि अर्पित कीं।

जारी प्रेस नोट में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश से रोजाना बलात्कार की खबरें आती हैं। दिल दहल जाता है। अभी उन्नाव में एक लड़की को जला दिया। अकेले उन्नाव जिले में 11 महीने में लगभग 90 बलात्कार के मामले सामने आये हैं।
यह सब क्यों और कैसे हो रहा? आरोपियों का मनोबल कैसे बढ़ा हुआ है? पीड़िता की सुरक्षा को लेकर आखिर सरकार गंभीर क्यों नहीं है?

इसके पहले उन्नाव की ही एक और लड़की को कैसे एक भाजपा के एक विधायक मारने की साजिश रचे थे। उस केस का क्या हुआ? शाहजहांपुर के मामले में क्या हुआ? बिल्कुल साफ साफ उत्तर प्रदेश की सरकार अपराधियों को सह दे रही है। मुख्यमंत्री को सामने आकर जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

*भाजपा की गलत आर्थिक नीतियों के कारण जनता कष्ट में है*

जारी प्रेस नोट में उन्होंने कहा कि प्याज 120 रुपया किलो बिक रही है। लहसुन 200 रुपया किलो। भाजपा के नेता अनाब-सनाब बयान दे रहे हैं। कोई बोल रहा है कि वे प्याज नहीं खातें। ऐसे सच्चाई से मुंह चुरा रहे हैं । महंगाई की मार जनता पर कभी भी इतनी बुरी नहीं पड़ी थी। जीडीपी की दर गिरकर 4.5 फीसदी हो गयी है। कोई सेक्टर नहीं है जहां मंदी की मार न हो। यह सब भाजपा की गलत आर्थिक नीतियों के कारण है। जनता कष्ट में है। सरकार मौज कर रही है।

*युवाओं को रोजगार नहीं, किसानों को दाम नहीं*

*सूट-बूट की सरकार देश बेच रही है*

महासचिव प्रियंका गांधी ने जारी प्रेस नोट में कहा कि देश ने कभी इस तरह की बेरोजगारी नहीं देखा था। उत्तर प्रदेश बेरोजगारी में सबसे ऊपर है। भर्तियां लटकी पड़ीं हैं। भाजपा के नेता कहते हैं कि युवा लायक नहीं हैं। इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है। आये दिन युवाओं को छला रहा है।

उन्होंने कहा कि किसानों को फसलों का दाम नहीं मिल रहा है। मिर्जापुर से लेकर झांसी तक किसानों की जमीनें जबरन लिया जा रहा है। किसान आत्महत्या कर रहा है। उसे ना खाद मिल रही है न पानी। इतना ही नहीं प्राकृतिक आपदा और सरकारी नीतियों की मार खाये अन्नदाताओं को बैंकों की नोटिस भेजी जा रही है। सरकार अपने अमीर दोस्तों का 5.5 लाख करोड़ रुपया माफ कर सकती है लेकिन किसानों का एक पाई माफ नहीं करना चाहती है। सूट बूट की सरकार देश बेच रही है।

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