मुख्यमंत्री राहत कोष को झाँसी मेडिकल कालेज लगा रहा है चूना कैंसर विभाग में चल रहा फर्जी बिल का खेल

झासी।महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज झाँसी में मुख्यमंत्री राहत कोष में बहुत बड़ी धाँधली की जा चुकी है इस सम्वंध मे लगातार शिकायते की जा रही है शिकायतो के अधार पर आरोप लगाया गया है कि कॉलेज प्रशासन मामले को उसको दबाने में लगा हुआ है। पिछले कुछ वर्षों से मेडिकल कॉलेज झाँसी के कैन्सर विभाग में तैनात एक डॉक्टर ने कुछ मेडिकल स्टोरों के नाम से नक़ली मुहर एवं जाली जी.एस.टी नम्बर के साथ फ़र्ज़ी बिल (जिन में कई जगह कालातीत दवाएँ भी अंकित हैं)
बना कर मरीज़ों के ज़रिए मुख्यमंत्री राहत कोष से लाखों रूपए निकलवा दिए हैं और लाखों रुपये के बिल भुगतान के लिए अभी भी मेडिकल कॉलेज में लम्बित हैं, मरीज़ बिलों के फ़र्ज़ी होने की जानकारी के अभाव में और लगातार अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं, मगर बार-बार उनको टाला जा रहा है. बताया गया है की
डॉक्टर गोयल द्वारा मरीज़ों को अलग अलग मेडिकल फ़र्म के नाम से फ़र्ज़ी बिल देने की सूचना कॉलेज प्राचार्या को आगरा सहित कई फ़र्म ने लिखित रूप से भेजी थी उसके बाद लखनऊ स्थित कुछ मेडिकल स्टोरों से भी डॉक्टर गोयल द्वारा उनके स्टोर के नाम के फ़र्ज़ी बिल मरीज़ों को देने की सूचना प्राचार्या को भेजी जा चुकीं है किंतु प्राचार्या द्वारा इस प्रकरण पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई बस सांकेतिक तौर पर इस विषय पर एक कमेटी बना दी गई जिसने महज़ खानापूर्ति करके बिना पूरी जाँच के अपनी आधी अधूरी रिपोर्ट बना दी और कोई कार्यवाही नहीं हुई.
प्राचार्या से इस प्रकरण पर जन सूचना अधिकार के तहत एक जनसूचना भी माँगी गई किंतु प्रथम अपील के बाद भी प्राचार्या द्वारा इस प्रकरण को गम्भीरता से नहीं लिया गया और फिर भी कोई सूचना ना देकर इस प्रकरण को दबाया जा रहा है। फ़र्ज़ी बिलों की इस साज़िश से जहाँ एक ओर मुख्यमंत्री राहत कोष में धाँधली करके सरकारी धन और राजस्व की चोरी की गई है वहीं दूसरी ओर मेडिकल स्टोर और कैन्सर के ग़रीब मरीज़ों के साथ धोखा किया जा रहा है , फ़र्ज़ी बिलों से सरकारी पैसा निकालने की सूचना के बाद भी अभी तक कार्यवाही ना करते हुए बाक़ी लम्बित फ़र्ज़ी बिलों का भुगतान रोक दिया गया है जिससे अपना पैसा ख़र्च करने के बाद भी मरीज़ों को उनका भुगतान नहीं मिल पा रहा है जिस वजह से सरकार द्वारा कैन्सर के इलाज के लिए आर्थिक सहायता मिलने के बाद भी मरीज़ों को उसका लाभ नहीं मिल पाया है, कई मरीज़ सरकारी कार्यशैली को कोसते हुएअपना इलाज बीच में छोड़ चुके है।
अब जब मुख्यमंत्री झाँसी मे 150 करोड की लागत से तैयार हुए सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक का उद्घाटन करने स्वयं आ रहे हैं ऐसे में इस प्रकार के प्रकरण को मुख्यमंत्री को स्वयं संज्ञान में लेकर विस्तृत जाँच करायी जानी चाईये और कैन्सर जैसी बीमारी से पीड़ित ग़रीब मरीज़ों के हित एवं स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए इस भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी पर दोषियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही करना चाईये ताकि भविष्य में इस प्रकार की धोखाधड़ी मरीजो और सरकारी कोष मे ना हो सके।

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