जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से जन्म कुंडली में सफल व्यापार के योग…
व्यापार व्यक्ति को स्वतंत्रता और अत्यधिक समृद्धि देता हैं। व्यापार के द्वारा आप अपनी सीमा से बाहर निकल सकते हों। व्यापार ही एक ऐसा मार्ग हैं, जो आपकी बढती महत्वकांक्षाओं की पूर्ती कर सकता हैं। व्यापार के द्वारा आपकी जरुरतों को पूरा तो किया जा सकता हैं लेकिन सवाल यह हैं कि क्या व्यापार में सफलता मिल पायेगी? क्योंकि आज के समय में व्यापार करने के लिये अत्यधिक पूंजी व मेहनत की जरुरत होती हैं, उसके अलावा प्रतिस्पर्धा जैसी खाई को पार करना अत्यधिक मुश्किल हैं। इन सभी प्रश्नों का जवाब आपकी जन्म कुंडली में छुपा हुआ हैं।
1- जन्म कुंडली के दशम भाव को कर्म स्थान कहा जाता हैं, वृष, सिंह, कन्या तथा धनु लग्न वाले जातकों का यदि धनेश या लाभेश कर्म स्थान के मालिक के साथ द्विस्वाभाव राशि में स्थित हो या एकदूसरे पर प्रभाव हो तो ऐसा जातक एक सफल व्यापारी बनता हैं। ऐसे जातक अपने परिवार में कुल दीपक होते हैं। ऊपर वर्णित ग्रह जितने बलवान होंगे उतनी ही बडी सफलता के मिलने के असार रहते हैं।
2- व्यापार हेतु जन्म कुंडली मे धन कि स्थिती अत्यधिक मजबूत होनी चाहिये। जन्म कुंडली में धनेश या लाभेश उच्च अवस्था के हों तथा अष्टमेष व द्वादश से सम्बंध बनाते हो तो व्यक्ति का व्यापार अपने देश से बाहर तक पहुंच जाता हैं। ऐसे जातक करोडों के स्वामी होते हैं।
3- लग्न, धन व कर्म स्थान पर एक से अधिक ग्रहों का शुभ प्रभाव हो तो जातक के पास धन एक से अधिक स्तोत्र से आता हैं। ऐसा जातक कई प्रकार के व्पापार करता हैं।
4- बुध ग्रह को व्यापारी कहा जाता हैं। बुध की शुभ स्थिति लग्न, धन, सप्तम,दशम व एकादश स्थान पर हो तो जातक सफल व्यापारी बनता हैं। ऐसे लोग प्रेम सम्बंधो में भी व्यापार करते नजर आते हैं।
5- तुला राशि तराजु को प्रदर्शित करती हैं। तथा द्विस्वाभाव राशियां एक से अधिक मार्ग को दर्शाते हैं। यदि जन्म कुंडली के अधिकत्तर ग्रह इन राशियों में बैठे हो तो जातक व्यापार करता हैं और सफल होता हैं।
6- जन्म कुंडली में अगर तृतियेश बलवान हो तो ऐसा जातक किसी के अधीन कार्य नही कर पाता। अपने लिये नये मार्ग बनाता हैं। यदि धनेश व लाभेश के साथ तृतियेश शुभ सम्बंध बनाये तो जातक सफल व्यापारी होता हैं। और कई व्यापारी उसके लिये कार्य करते है