ताजनगरी में बन्दरो का आतंक, बन्दरो के आतंक से घरों में कैद आगरावासी

नगर निगम के पास नही कोई इन्तजाम*

घायल हो चुके है सेंकडो लोग

कई जाने जा चुकी है शहर में

राजेश तोमर की रिपोर्ट

आगरा।ऐतिहासिक नगरी आगरा वैसे तो दो चीजों से मशहूर है एक तो ताजमहल दूसरा आगरा का पेठा विश्व मे अपनी पहचान बनाये हुए।
अगर हालात ऐसे ही रहे तो आगरा अब बन्दरो के आतंक के नाम से जाना जाने लगेगा दिन पर दिन शहर में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। न सिर्फ शहर के बीचोंबीच बल्कि सेक्टर और कॉलोनियों के लोग इनसे काफी परेशान हैं। लोग आए दिन अधिकारियों से बंदरों के आतंक से निजात दिलाने की गुहार लगाते रहते हैं लेकिन शहर में कोई सार्थक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

स्थिति यह हो गई है कि लोगों ने खुले में कपड़ा सुखाना तो दूर खुले में सामान रखना भी बंद कर दिया है। इसकी वजह बंदरों द्वारा सामान को क्षतिग्रस्त करना अथवा कपड़ों को फाड़ देना है। यही नहीं, बंदर खूनी हमलावर होते जा रहे हैं, जिसकी वजह से शहर के लोगों का खाने-पीने का सामान घर तक सुरक्षित पहुंचना भी मुश्किल हो गया है। बंदर झपट्टा मारकर हाथों से खाने-पीने के सामान की थैली को फाड़कर नुकसान पहुंचा रहे हैं।व कभी कभी घायल भी हो जाते है कमोबेश यही हालात आगरा से सटे कुछ गाँव के भी होते जा रहे है।

बंदरों ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है बच्चे ,बूढ़े और महिलाओं को तो घरों से बाहर निकलने में भी डर सताता है. बंदर न केवल नुकसान करते हैं बल्कि काटने में भी पीछे नहीं है इन दिनों शहर में एक दो चार नहीं बल्कि हजारो की संख्या में बंदर हैं. नुकसान करने के बाद जब इंसान इनका पीछा करता है, तो एक छत से दूसरी छत पर भागते हुए गायब हो जाते हैं और इंसान हाथ मलता रह जाता है.

ताजनगरी में बंदरों ने काफी आतंक मचा रखा है। किसी का घर में रहना मुश्किल कर दिया है तो किसी का गली से गुजरना। और तो और,सरकारी दफ्तरों में भी फाइल को दबाकर चलना भी खतरे से खाली नहीं रहा। लोगों को काट जाना, लोगो को घायल कर जिंदगी से खिलवाड़ करना, ये आम बात हो गई है। स्थिति यह है कि इनके डर की वजह से जिले के जिलाधिकारी व एसएसपी के दफ्तर तक एक पिंजडे बन कर रह गए हैं।

*शहर के सरकारी अस्पताल*
जिले के एसएन मेडिकल कॉलेज,जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल, में भी बंदरों का खूब ही आतंक है। स्थिति यह है कि मरीज और तीमारदारो का निकलना मुश्किल कर दिया हैं। खाने की वस्तुएं देखकर बंदरों का पूरा झुंड एक साथ टूट पड़ता है। हर रोज कोई न कोई इनका शिकार होता ही रहता है।

*विदेशी व स्वदेसी पर्यटक भी इनका शिकार हो चुके है*

शहरवासी ही नहीं विदेशी व स्वदेसी पर्यटक भी बंदरों से परेशान हैं। ताजमहल जैसे विश्वदाय स्मारक पर भी पर्यटक सुरक्षित नहीं है। यहां बंदरों के काटने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। घुड़की से कई पर्यटक गिरकर गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। इसके बाद भी अब तक यहां बंदरों से निपटने के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए।

*पहले भी घायल हो चुके हैं कई विदेशी पर्यटक।*
ताजमहल घूमने आने वाले कई पर्यटकों पर बंदर हमला कर चुके हैं। कई विदेशी पर्यटक भी इनकी चपेट में आकर घायल हुए हैं। यहां पर बंदरों का आतंक इतना है कि वे पर्यटकों को घायल करके उनके हाथ से सामान छीनकर ले जाते हैं। बीते साल जुलाई में ऑस्ट्रेलिया से आए एक पर्यटक पर बंदर ने हमला किया था। इसी तरह दो फ्रेंच के नागरिकों को भी बंदरों ने काटा था।
*ये है शहर में बन्दरो के मुख्य स्थान*
सरकारी दफ्तर और स्मारक ही नहीं, बंदरों के आतंक से घरों में बैठे लोग भी परेशान हैं। दरेसी, बेलनगंज, गोकुलपुरा, लोहामंडी, राजामंडी, रावतपाड़ा, घटिया आजम खां, पीपल मंडी, गोविंद नगर, जयपुर हाउस प्रताप नगर, केदार नगर यमुना ब्रिज सीता नगर आदि क्षेत्रों में बंदरों का आतंक चरम पर है। लोगों को इनसे बचने के लिए अपने घरों को जालियों से बंद कराना पड़ा है। स्थिति यह है कि लोग पलभर के लिए भी अपने घर का दरवाजा खुला नहीं छोड़ सकते।

*लंगूर रखने की योजना*
नियमो के चलते यह योजना भी असफल रही
अधिकारियों ने बताया कि वन्यजीव संरक्षण एक्ट के तहत बंदरों को ऐसे नहीं मारा जा सकता है। न ही लंगूर को बंद रखा जा सकता है एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहले ताजमहल परिसर से बंदरों को भगाने के लिए लंगूर रखने की योजना बनाई गई थी, लेकिन वह भी सफल नहीं हो सकी।
*विदेशी तर्ज पर मिली थी नसबन्दी योजना की मंजूरी*
बंदरों की समस्‍या खत्‍म करने के ल‍िए यहां 2015 में व‍िदेशों की तर्ज पर इनकी नसबंदी योजना को मंजूरी म‍िली थी। तत्‍कालीन कम‍िश्‍नर प्रदीप भटनागर के आदेश पर वाइल्‍डलाइफ एसओएस टीम ने प्रस्‍ताव तैयार क‍िया था। व‍िभ‍िन्‍न क्षेत्रों में जीपीएस स‍िस्‍टम के आधार पर बंदरों के ग्रुप की पहचान की गई। एडीए ने दो करोड़ रुपये खर्च कर द‍िए। बंदर पकड़े भी गए और उनकी नसबंदी भी की गई। लेकनि उन इलाकों में जहां से बंदर पकड़ कर फ‍िर वहीं छोड़ द‍िए थे, बंदरों की तादाद में कमी नहीं आई। नसबंदी का यह हांगकांग मॉडल फेल हो गया। इसल‍िए लंगूरों पर लोगों का और प्रशासन‍िक अध‍िकार‍ियों का भरोसा बढ़ा है। आपको बता दें, कुछ दिन पहले ताजमहल पर‍िसर में घूम रहे एक फ्रांसीसी पर्यटक को बंदरों के झुंड ने पैर में काट ल‍िया था। यह घटना अंतर्राष्‍ट्रीय चर्चा का व‍िषय बना था।
*कब कब हुई घटनाये*

25 जुलाई: एडीएम सिटी कार्यालय के सामने एक महिला के हाथ से बैग छीन लिया।
19 जुलाई: एसएसपी दफ्तर के सामने एक बुजुर्ग के हाथ से थैला छीन लिया। धक्का लगने से गिरे बुजुर्ग को चोट आई।
17 जुलाई: एसएसपी दफ्तर के सामने फरियाद लेकर आए एक महिला को कई बंदरों ने घेर लिया। उसके पैर में काट लिया।
14 जुलाई: डीएम दफ्तर के सामने दो युवतियों को झपट्टा मारकर गिरा दिया।
10 जुलाई: सदरभट्टी गेट पर एक बुजुर्ग के हाथ से थैला छीनने के प्रयास में उसके हाथ में काट लिया।
7 जुलाई: पानी की टंकी के पास दो बंदरों ने एक युवक को दौड़ा लिया।

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