सोनभद्र।सूबे की सरकार प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए तमाम प्रयास कर रही है, लेकिन उसके प्रयास नाकाम साबित होते दिखाई दे रहे है।क्योंकि जब तक सरकार प्राइमरी स्तर पर अध्यापको व बच्चों को सुविधाएं उपलब्ध कराने में सफल नही होती, तब तक ये बाते बेईमानी लगती है।
जी हां हम बात कर रहे है जंगल,पहाड़ो से आक्षादित जनपद सोनभद्र की,जहाँ तीन चौथाई भाग जंगल और पहाड़ो से घिरा है,जंहा पर आने-जाने के लिए रास्ते नही है,बिजली नही और पीने के लिए शुद्ध पानी नही है।

ताजा मामला है ,प्राथमिक विद्यालय तेंदूडाढ़ विकास खण्ड म्योरपुर का व चोपन विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय भरहरी का, जहाँ पर कच्चा मार्ग होने के कारण अध्यापको को अपनी बाइक को किस प्रकार से घिसट कर ले जाना पड़ता है, आप खुद देख सकते है,सुबह 6 बजे घर से चलने वाला अध्यापक 9 बजे तक किसी तरह से विद्यायल पहुचता है,वह भी कीचड़ और मिट्टी से लथपत।इसके साथ ही विद्यालय विल्कुल जर्जर हाल में है जहाँ पर बच्चे और अध्यापक अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चों को पढ़ाने को मजबूर है।
इतना ही नही फिर उसे लौटना भी है,सोचिए ऐसे मुश्किल रास्तों पर चलकर अध्यापक प्रेरणा ऐप से सेल्फी कैसे दे सकता है।

ताजा मामला प्राथमिक विद्यालय तेंदूडाढ़ विकास खण्ड म्योरपुर का व चोपन विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय भरहरी का, तेंदूडाढ में कच्चा रास्ता होने के कारण अध्यापको व बच्चों को स्कूल आने जाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है,जहाँ पर कच्चा मार्ग होने के कारण अध्यापको को अपनी बाइक को किस प्रकार से घिसट कर ले जाना पड़ता है, आप खुद देख सकते है,सुबह 6 बजे घर से चलने वाला अध्यापक 9 बजे तक किसी तरह से विद्यायल पहुचता है,वह भी कीचड़ और मिट्टी से लथपत।इसके साथ ही विद्यालय विल्कुल जर्जर हाल में है जहाँ पर बच्चे और अध्यापक अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चों को पढ़ाने को मजबूर है।इतना ही नही फिर उसे लौटना भी है,सोचिए ऐसे मुश्किल रास्तों पर चलकर अध्यापक प्रेरणा ऐप से सेल्फी कैसे दे सकता है।इसके साथ ही प्राथमिक विद्यालय भरहरी विकास खंड चोपन का विद्यालय 1980 में बना है जो बिल्कुल ही जर्जर हो चुका है,तमाम शिकायतों के बावजूद भी इसी विद्यालय में पढ़ने और बढ़ाने को मजबूर है अध्यापका।

इस विद्यालय की अध्यापिका उमा सिंह ने बताया कि पूरा विधायल टपक रहा है डर लगता है कि कही कोई बड़ी दुर्घटना ना हो जाय।वही प्राथमिक विद्यालय भरहरी की छात्रा अंतिमा ने बताया कि स्कूल में बहुत डर लगता है,जिसके कारण दोस्त सब नही आते है,कभी भी विद्यालय गिर जाएगा तो हमलोग मर जायेंगे।
इस पूरे मामले को गम्भीरता से उठाते हुए प्राथमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष योगेश पांडेय ने कहा कि सरकार पहले मूलभूत सुविधाएं सड़क,बिजली ,पानी उपलब्ध कराए,इसके साथ ही साथ जर्जर स्कूलों की मरम्मत भी कराए।इसके बाद किसी प्रेरणा ऐप की बात करे,क्योकि हमारा अध्यापका बिल्कुल ही ईमानदार व समय का पक्का है,लेकिन अच्छी सड़को के अभाव में अध्यापक घर से दो घण्टे पहले निकने के बाद भी समय से स्कूल पहुचेंगे की नही, इसकी गारंटी नही है।कच्ची कीचड़ से भरी सड़के जिसपर फिसलकर अध्यापक गिर भी जाते है।अधिकांस विद्यालय जर्जर स्थिति में है, कब गिर जायेगे,इसकी गारंटी नही है,लेकिन उसी के नीचे बैठक अपने साथ-साथ सैकड़ो बच्चो के जान को जोखिम में डालकर अध्यापक पढ़ाने को मजबूर है।यही कारण है कि प्रेरणा ऐप का हमलोग विरोध कर रहे है।
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