प्रयागराज। पूर्वाचल में बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी और एमएलसी डॉन बृजेश सिंह के बीच पिछले तीन दशकों से अधिक वक्त से अदावत चल रही है। दोनों का आमना-सामना कम ही हुआ है लेकिन बुधवार को इसके पूरे आसार थे। दरअसल स्पेशल जज एमपी-एमएलए कोर्ट पवन कुमार तिवारी की कोर्ट में बहुचर्चित उसरा चट्टी कांड की सुनवाई थी। खास यह कि 2001 में हुए इस कांड के अहम गवाह खुद मुख्तार अंसारी हैं जिन्हों ने फायरिंग करने वाले के रूप में बृजेश को आरोपित किया था। दोनों तरफ से हुई क्रास फायरिंंग में पुलिस के गनर कांस्टेबिल रामचंद्र राम प्रदीप समेत तीन लोगों की मौत हो गयी थी। पेशी को देखते हुए पुलिस ने सुुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किये थे और किसी को एमएलसी बृजेश के आसपास फटकने तक नहीं दिया।
बचाव पक्ष ने कोर्ट से साक्ष्य समाप्त करने की लगायी गुहार
उसरी चट्टी कांड माननीयो की स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर हो चुका है लेकिन अब तक सुनवाई की नौबत नहीं आयी। बुधवार को भी मुकदमे के वादी और अहम गवाह मुख्तार अंसारी नहीं आये थे। आरोपित बृजेश सिंह की तरफ से अधिवक्ता सुदिष्ट सिंह ने कहा कि उनका मुवक्किल निर्दोष हैं और पिछले 11 साल से जेल की सलाखों के पीछे निरुद्ध है। आरोप निर्धारण 2013 में हो गया था लेकिन पिछले सात सालों से गवाह नहीं आ रहा है। हर बार एक नया बहाना बनाया जाता है। इनतथ्यों पर विचार करते हुए कोर्ट से साक्ष्य समाप्त करने कीप्रार्थना की गयी। मामले की सुनवाई के लिए 11 अक्टूबर की तिथिनियत की गयी है।
पूर्वांचल में गरमाया था गैंगवार
गौरतलब है कि 15 जुलाई 2001 की दोपहर साढ़े 12 बजे मुख्तार अंसारी के काफिले पर अंधा धुंध फायरिंग की गयी थी। सड़क किनारे खड़े एक ट्रक से फायरिंग किये जानेका आरोप था। अचानक हुए हमले में संभलने से पहले गनर की मौत हो गयी जबकि एक अन्य बाबू अस्पताल में इलाज से पहले मरा था। मुख्तार की तरफ से भी फायरिंग हुए थी और एक को मारे जाने का दावा किया गया था। मृतक की शिनाख्त बाद में मनोज राय के रूप में हुए थी। इस वारदात के बाद पूर्वांचल की गैंगवार तेज हो गयी थी और कई लोग मारे गये थे।