जीवन मंत्र डेस्क। शुक्रवार, 13 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है। पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का ये पर्व शनिवार, 28 सितंबर तक चलेगा। हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को में पितृ पक्ष के रूप में मनाया जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इन दिनों में किए गए श्राद्ध और तर्पण से पितर देवताओं को तृप्ति मिलती है। पुरानी मान्यता है कि घर-परिवार के मृत सदस्य को ही पितर देवता के रूप में पूजा जाता है। इनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध पक्ष में पुण्य कर्म किए जाते हैं। जानिए कुछ ऐसी बातें, जिनका ध्यान पितृ पक्ष में रखना चाहिए…
श्राद्ध कर्म या तर्पण करते समय चांदी के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। पितरों को अर्घ्य देने के लिए, पिण्ड दान करने के लिए और ब्राह्मणों के भोजन के लिए चांदी के बर्तन श्रेष्ठ माने गए हैं। अगर चांदी के बर्तन नहीं है तो कांसे या तांबे के बर्तन का उपयोग कर सकते हैं। अगर ये भी नहीं है तो पत्तल पर खाना खिला सकते हैं।
श्राद्ध कर्म के लिए गाय का दूध और गाय के दूध से बने घी, दही का उपयोग करना चाहिए।
पितरों को धूप देते समय व्यक्ति को सीधे जमीन पर बैठना नहीं चाहिए। रेशमी, कंबल, ऊन, लकड़ी या कुश के आसन पर बैठकर ही श्राद्ध कर्म करना चाहिए।
पितृ पक्ष में ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराते समय ये नहीं पूछना चाहिए कि खाना कैसा बना है। ब्राह्मणों को शांति से भोजन कराना चाहिए। मान्यता है कि खाते समय जब तक ब्राह्मण मौन रहते हैं तब तक पितर देवता भी भोजन ग्रहण करते हैं।
श्राद्ध पक्ष में अगर कोई जरूरतमंद व्यक्ति दान लेने घर आता है तो उसे खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए। उसे खाना या धन का दान अवश्य करें।
ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद धन का दान करें और पूरे आदर-सम्मान के साथ उन्हें विदा करना चाहिए।
पितृ पक्ष में क्लेश नहीं करना चाहिए। पति-पत्नी और परिवार के सभी सदस्यों को प्रेम से रहना चाहिए। जिन घरों में अशांति होती हैं, वहां पितरों की कृपा नहीं होती है।