जोगी के बुरे दिन.. ▪जेसीसी बचेगी या खत्म हो जाएगी

अमित को सजा होने की आशंका ज्यादा

रायपुर।छत्तीसगढ़ की तीसरी सियासी ताकत इन दिनों संकट में है। शारीरिक रूप से कमजोर अजीत जोगी के समक्ष मुश्किलों का पहाड़ है। जेसीसी के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी के जेल जाने और अजीत जोगी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज होने के बाद न केवल उनकी विधायकी संकट में है बल्कि, उनकी भी गिरफ्तारी की आशंका बढ़ गई है। जोगी को सियासी वट वृक्ष समझ कर जितने लोग उनसे जुड़े वे दुविधा में हैं। वे किस पार्टी में जायें। वैसे जोगी के साथ जो भी खड़े हैं ,वे सब कांग्रेस छोड़ कर आए हैं या फिर कांग्रेस ने उन्हें निकाल दिया था।

प्रदेश की सियासत में तीसरी राजनीतिक पार्टी के रूप में उभरे जोगी परिवार के ऊपर एक और मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ा। अंतागढ़ उप चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार को चुनावी समर से हटने के लिए उसे पैसा,लालबत्ती का लालच दिया गया था। मंतूराम पवार ने अपने शपथ पत्र में अजीत जोगी,अमित जोगी,डाॅ रमन सिंह,राजेश मूणत का जिक्र किया है। जाहिर सी बात है कि अंतागढ़ टेप कांड में जिन नेताओं की आवाज है,उनमें अजीत जोगी,अमित जोगी की भी आवाज होना एसआइटी मानती है। लेकिन इन्होंने अभी तक अपनी आवाज का सेम्पल नहीं दिया है। अब मंतूराम पवार के शपथ पत्र ने सभी नेताओं का बीपी बढ़ा दिया है। अमित जोगी अपनी नागरिकता के संदर्भ में जो झूठी जानकारी दिये हैं,उसके आरोप से बच पायेंगे,इसकी संभावना कम है। जाहिर सी बात है कि उनको कम से कम दो साल की सजा मिलेगी ही। अजीत जोगी की भी विधायकी कोर्ट ने खत्म कर दी और उनकी गिरफ्तारी हुई तो पार्टी के अस्तित्व पर संकट आ जायेगा।

हैरानी वाली बात है अभी तक जोगी भाजपा के मददगार थे और भाजपा के नेताओं के चलते जोगी की राजनीति और उनका सियासी वजूद खतरे में पड़ गया। संघ ,जोगी की मदद करने से रहा। इसलिए भी कि जोगी के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान छत्तीसगढ़ में ईसाई मिशनरी के पौ बारह थे। उम्र भर दिलीप सिंह जूदेव आदिवासियों के पैर धो धो कर ईसाई से हिन्दू धारा में लाते रहे। ऐसी स्थिति में संघ के खिलाफ जाकर बीजेपी मदद नहीं करेगी जोगी की।

इन तमाम सकट के बीच एक सवाल यह भी है कि अब जोगी की पार्टी बचेगी या फिर टूट जायेगी। पार्टी की कमान किसके हाथ में होगी। सभी की नजर जेसीसी के अगले प्रदेश पर है। जोगी यदि अपनी पार्टी की कमान अपने घर में ही किसी को सौपते हैं तो वो रेणू जोगी हों सकती हैं,लेकिन अब उनकी राजनीति में रूचि नहीं हैं। ऐसी स्थिति में उनकी बहू ऋचा जोगी बचती हैं। रेणू जोगी की उनसे पटती नहीं है। तो फिर क्या जेसीसी का अध्यक्ष जोगी घर से बाहर का कोई होगा या फिर अमित जोगी जेल से छूटने तक ऋचा को अध्यक्ष बनाने की सलाह अजीत जोगी को देंगें?बहरहाल जोगी की पार्टी के पांच विधायक होने के बाद भी अच्छे दिन की बजाय बुरे दिन में सांसे ले रही हैं। ▪ “रिपु”

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