◆गरीबी ने लेली एक और जान
◆कच्चा मकान होने से गयी बालक की जान।
◆ ग्राम प्रधान ने भी नही सुनी कोई बात
◆ आखिर क्यों नही मिला था गरिब राजकुमार सरकारी आवास।
प्रयागराज – लवकुश शर्मा
उतरांव- उतराव थाना क्षेत्र के घाटूपुर गांव में मंगलवार की सुबह दीवार से तक एक बालक की मौत हो गई जबकि चारपाई पर सो रहा बड़ा भाई गंभीर रूप से घायल हो गया उतराव थाना क्षेत्र के घाटू पुर गांव निवासी राजकुमार मजदूरी का काम कर अपना व तीन बच्चों व बूढ़ी मां का जीविका चलाता था 2 दिन पूर्व राजकुमार मजदूरी कर घर आया तो उसका पूरा शरीर जल रहा था तेज बुखार होने के कारण हालत गंभीर हो गया यह देखकर पत्नी शीला देवी नागनाथपुर गांव स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां सोमवार की रात अस्पताल में अपने पति के साथ रह गई। मंगलवार की सुबह घर पर राजकुमार की बूढ़ी मां अमरावती देवी बेटा रोहित, निगम ,आदित्य और बेटी जया घर में सो रहे थे की मंगलवार की सुबह निगम और आदित्य कुमार एक कमरे में और जया, रोहित और बूढ़ी मां अमरावती बगल के कमरे में सो रहे थे कि अचानक खपरैल मकान के घर में लगा धन्नी बीच से टूट गया जिससे कच्चे मकान की दीवार समेत पूरा कच्चा मकान गिर गया जिससे घर मे सो रहे आदित्य और निगम कुमार दब गए। शोर-शराबा सुनकर आसपास के ग्रामीणों ने पहुंचकर बालकों के ऊपर गिरे मलबे को हटाकर बाहर निकलन सुरु किया जब तक मालवा हटाया जाता तब तक 7 वर्षीय बालक आदित्य की मौके पर ही मौत हो गई जबकि भाई निगम की हालत नाजुक देख परिजनों ने उसे पास के निजी अस्पताल में ले गए जहां हालत नाजुक देख डॉक्टरो ने स्वरूपरानी चिकित्सालय रेफर कर दिया जहां अभी भी निगम की हालत नाजुक बनी हुई है सूचना पर पहुंचे थाना अध्यक्ष दीपक कुमार सिंह ने शव को कब्जे में लेते हुए पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वहीं मृतक आदित्य बगल के ही एक पी आर डी पब्लिक स्कूल में नर्सरी का छात्र था।
गरीबी के कारण नही बन सका आवास।
ग्रामीणों ने बताया कि राजकुमार जितना कमाता था वह उसे उसके परिवार का गुजर-बसर ही हो पाता था पर एक कहां से बनाएं कई बार बनाने के लिए कुछ बताता भी की तब कोई नहीं कोई बीमारी ही हो जाता था
ग्राम प्रधान में नहीं नहीं सुनी कोई समस्या –
परिजनों ने बताया कि राजकुमार बार-बार ग्राम प्रधान और विकासखंड के कर्मचारियों से कई बार गुहार लगाया लेकिन कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला तो वह सब का पीछा ही छोड़ दिया वहीं ग्रामीणों ने कहा कि यदि सरकारी आवास बना होता तो बालक की जान बच सकती थी ।उक्त मामले को लेकर पूरे क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं आम है।