
कागजों में रेत होशंगाबाद से भोपाल, हरदा होते हुए वापस उसी स्टॉक पर
रामभरोस मीणा
होशंगाबाद ।खनिज विभाग के पोर्टल से इलेक्ट्रॉनिक परिवहन पास (ईटीपी) बनाकर रेत को एक से दूसरे स्टॉकिस्ट को शिफ्ट करना बताकर रेत की अवैध सप्लाई की जा रही है। इसके लिए होशंगाबाद, भोपाल और हरदा सहित कई जिलों के रेत स्टॉकिस्टों ने रिंग बना ली है। होशंगाबाद का एक स्टॉकिस्ट रेत को परिवहन परमिट के जरिए ट्रकों से भोपाल के स्टॉकिस्ट को शिफ्ट करना बता देता है, फिर भोपाल का वही स्टॉकिस्ट नए परमिट से रेत को हरदा भेजना दर्शा देता है, और आखिर में हरदा का स्टॉकिस्ट तीसरा नया परमिट बनाकर रेत को होशंगाबाद के उसी पहले वाले स्टॉकिस्ट को शिफ्ट कर देना बता रहा है।
भास्कर के इन तथ्यों पर खनिज विभाग के एक वरिष्ठ अफसर ने माना कि यह सही है कि कई जगह रिंग बनी हुई है। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कई जगह तो सिर्फ परमिट बन रहे हैं, रेत शिफ्टिंग होती ही नहीं, वहीं खपा दी जाती है और जो रेत खपती है, उसकी पूर्ति वापस अवैध खनन से ढेर पर रेत डालकर कर ली जाती है। इससे स्टॉक यथावत बना रहता है और जब सरकार रायल्टी मांगती है तो कागजों में नाममात्र रेत बेचना बताकर उतनी ही रायल्टी दी जाती है, जबकि खपत कई सौ गुना ज्यादा की जा रही है।
स्टॉकिस्टों की रिंग : इस उदाहरण से समझिए, कैसे चल रहा सफेद रेत का काला कारोबार –
होशंगाबाद स्थित मराेडा के स्टॉकिस्ट द्वारा भाेपाल के कालापानी स्थित स्टाॅकिस्ट को ईटीपी नंबर-1911745344 से ट्रक से 22 घनमीटर रेत भेजना बताया। कालापानी के स्टॉकिस्ट ने नए ईटीपी नंबर-1911745709 से दूसरे ट्रक से 40 घनमीटर रेत उसी दिन हरदा के गोलापुरा के स्टॉकिस्ट भेजना बता दी। अब हरदा के स्टॉकिस्ट भी नई ईटीपी नंबर-1911726771 से 35 घनमीटर रेत होशंगाबाद भेज देते हैं। इस ईटीपी को खनिज पोर्टल पर चेक भी किया जा सकता है। यह सिर्फ एक उदाहरण है, इन तीन स्टॉकिस्टों के बीच रोजाना यही खेल चल रहा है।
यदि ई-रायल्टी के जरिए स्टॉक टू स्टॉक सप्लाई बताकर राजस्व को नुकसान पहुंचा जा रहा है तो यह गंभीर मामला है। दस्तावेज मिलते ही कार्रवाई की जाएगी।-पीसी शर्मा, प्रभारी मंत्री होशंगाबाद-हरदा
रेत स्टाॅक से स्टाॅक परिवहन करने पर तो ईटीपी जारी हाेती है लेकिन उस शिफ्टिंग का कोई शुल्क सरकार नहीं लेती है। एक स्टाॅक से दूसरे में रेत काे शिफ्ट किया जा सकता है, यह नियम में है। – पुष्पेंद्र त्रिपाठी, खनिज निरीक्षक हाेशंगाबाद
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