डोनाल्ड ट्रम्प ने कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थ बनने की पेशकश कर बड़ी गलती की।

वॉशिंगटन पोस्ट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में दावा किया था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने के लिए कहा था। भारत की तरफ से ऐसी किसी भी पेशकश से इनकार किया गया था। अब इस मामले मेंट्रम्प की चौतरफा आलोचना हो रही है। अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने बुधवार को कहा कि ट्रम्प ने कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थ बनने की पेशकश कर बड़ी गलती की। इस तरह वे पूर्ववर्ती अमेरिकी राष्ट्रपतियों की भारत के मामले में हासिल की गईउपलब्धियों को बर्बाद कर रहे हैं।

अमेरिका को भारत की जरूरत

अखबार ने कहा है कि ट्रम्प ने कश्मीर मामले में मध्यस्थता की पेशकश कर उच्च स्तर का राजनयिक दुर्व्यवहार किया। भारत के साथ व्यापार युद्ध को बढ़ावा देने के बाद अब वे कश्मीर संघर्ष में हस्तक्षेप की बात कर बड़ी भूल कर रहे हैं। इससे एक अहम देश, जिसकी दोस्ती अमेरिका के लिए जरूरीहै, वहहमसे दूर हो रहा है। अमेरिका को चीन से निपटने के लिए भारत की जरूरत है।

वॉशिंगटन पोस्ट की तरफ से कहा गया, “राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और बराक ओबामा ने भारत के साथ रिश्तों को बेहतर किया। ट्रम्प अपने कुछ बेवकूफी भरे शब्दों से उनकी उपलब्धियों को खराब कर रहे हैं।”रिपोर्ट में आरोप लगाया गयाकि ट्रम्प बड़ी तस्वीर को देखने में असफल रहे और अपने सलाहकारों को भी नहीं सुन रहे हैं।

अफगानिस्तान में आतंकियों को बढ़ावा देना चाहता है पाक

अफगानिस्तान मुद्दे पर ट्रम्प के फैसले की समीक्षा करते हुए पोस्ट ने लिखा, “ट्रम्प सेनाओं को अफगानिस्तान से निकालना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि अगर वे पाक को फुसला लेते हैं तो अमेरिका इज्जत के साथ अफगानिस्तान से बाहर निकल सकेगा,जैसा कि रिचर्ड निक्सन ने वियतनाम युद्ध के दौरान किया था।”

“अमेरिका के अफगानिस्तान से जाने में पाकिस्तान के अपने हित हैं। इससे पाक के आतंकी संगठन- तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान में कब्जा करने में आसानी होगी। लेकिन हमेशा की तरह ट्रम्प कोनहीं पता कि उन्हें बेवकूफ बनाया जा रहा है। बुद्धू को लगता है कि वहही ठग है।”

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