उम्भा की घटना के बाद नक्सली गतिविधयों से जुड़ी कोई बात सामने नही आई,एसपी

सोनभद्र। घोरावल थाना इलाके के उम्भा में 17 जुलाई को भूमि विवाद को लेकर 10 आदिवासियों की ग्राम प्रधान समर्थकों द्वारा गोली मार कर हत्या कर दिया गया और 28 लोग घायल हुए थे। इस घटना के बाद सूबे के आखिरी छोर पर बसे चार राज्यो (झारखण्ड , बिहार , छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) की सीमाओं से सटा सोनभद्र जिला में नक्सलवाद पुनः सक्रिय रूप लेने की सुगबुगाहट चर्चाओं में है। इस सम्बंध में जब पुलिस अधीक्षक से वार्ता किया गया तो उनका कहना था कि जिले में पूर्व नक्सल गतिविधिया रही है लेकिन तीन कम्पनी सीआरपीएफ और पांच कम्पनी पीएसी हमेशा रन पर रहती है। उम्भा की घटना के बाद ऐसी कोई बात सामने नही आई है क्योकि पुलिस ने 28 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई किया है।

वही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यवाहक सचिव का कहना है कि सच को दबाया नही जा सकता जिस प्रकार से उत्पीड़न शासन व प्रशासन द्वारा चल रहा है। वर्ष 2002 में पूर्व पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी के नेतृत्व में नक्सलियों ने समर्पण किया था लेकिन आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नही मिला वो लोग अब भी मुकदमा लड़ रहे है। वही स्वारज इण्डिया के सदस्य राजेश सचान ने कहा कि जिले में नक्सलवास पहले चरम पर था जिसे अखिलेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में यहां की जनता को मुख्यधारा में लाये और शान्ति बहाली हुई लेकिन दुबारा कब क्या होगा कैसे होगा यहां सिर्फ यही कहना है कि भूमि का संघर्ष बढ़ता ही जा रहा है। वही जिले के पूर्व नक्सली चौधरी कोल ने कहा कि वह वन विभाग की जमीन को जोतकोड लायक बनाकर परिवार के साथ रहता था लेकिन गांव के सवर्ण लोग फर्जी मुकदमे में फंसा कर नक्सली बना दिया।

सोनभद्र के घोरावल थाना इलाके के उम्भा में 17 जुलाई को आदिवासियों की जमीन पर ग्राम प्रधान अपने समर्थकों संग लगभग 32 ट्रैक्टरों को लेकर जोतने गया था । जिसका गोड आदिवासियों ने विरोध किया तो कई राउण्ड गोलियां चलाई गई। जिसका वीडियो वारयल हुआ तो साफ देखा जा सकता है किस तरह से आदिवासियों को मारा गया है। इस घटना में कुल 10 गोड आदिवासियों की मौत हुई 21 आदिवासी महिला व पुरुष घायल हुए तो वही ग्राम प्रधान की तरफ से केवल 7 सात लोग घायल हुए।

इस घटना ने पूरे देश की सियासत को हिलाकर रख दिया क्योकि यहां एक आईएएस का नाम सामने आने पर विपक्षी दलों ने प्रदेश सरकार को घेरने का काम शुरू कर दिया। सबसे पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने बीएचयू ट्रामा सेन्टर पहुच घायलो से मिली और उम्भा गांव जाने के लिए आगे बढ़ी तो मिर्जापुर में उन्हें रोक दिया गया। इसके बाद उम्भा गांव में अभी तक कांग्रेस के विधान मण्डल दल के नेता अजय कुमार सिंह लल्लू , मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ , बसपा का प्रतिनिधि मण्डल और सपा का प्रतिनिधि मण्डल व भीम आर्मी सेना के चंद्रशेखर भी पहुच चुके है।

वही जिले के पूर्व नक्सली चौधरी कोल ने कहा कि वह वन विभाग की जमीन को जोतकोड लायक बनाकर परिवार के साथ रहता था लेकिन गांव के सवर्ण लोग फर्जी मुकदमे में फंसा कर नक्सली बना दिया।

वही स्वारज इण्डिया के सदस्य राजेश सचान ने कहा कि जिले में नक्सलवास पहले चरम पर था जिसे अखिलेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में यहां की जनता को मुख्यधारा में लाये और शान्ति बहाली हुई लेकिन दुबारा कब क्या होगा कैसे होगा यहां सिर्फ यही कहना है कि भूमि का संघर्ष बढ़ता ही जा रहा है। वही स्वारज इण्डिया के सदस्य राजेश सचान ने कहा कि जिले में नक्सलवास पहले चरम पर था जिसे अखिलेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में यहां की जनता को मुख्यधारा में लाये और शान्ति बहाली हुई लेकिन दुबारा कब क्या होगा कैसे होगा यहां सिर्फ यही कहना है कि भूमि का संघर्ष बढ़ता ही जा रहा है।वही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यवाहक सचिव का कहना है कि सच को दबाया नही जा सकता जिस प्रकार से उत्पीड़न शासन व प्रशासन द्वारा चल रहा है। वर्ष 2002 में पूर्व पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी के नेतृत्व में नक्सलियों ने समर्पण किया था लेकिन आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नही मिला वो लोग अब भी मुकदमा लड़ रहे है।

पुलिस अधीक्षक सलमान ताज पाटिल से वार्ता किया गया तो उनका कहना था कि जिले में पूर्व नक्सल गतिविधिया रही है लेकिन तीन कम्पनी सीआरपीएफ और पांच कम्पनी पीएसी हमेशा रन पर रहती है। उम्भा की घटना के बाद ऐसी कोई बात सामने नही आई है क्योकि पुलिस ने 28 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई किया है।

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