यौन शोषण से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिएहर जिले में विशेष अदालतों की स्थापना करने के निर्देश दिए

नई दिल्ली.।शीर्ष अदालत ने गुरुवार को बच्चों के यौन शोषण से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिएहर जिले में विशेष अदालतों की स्थापना करने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन अदालतों के लिए फंडिंग का जिम्मा केंद्र का रहेगा। यहां केवल बच्चों से जुड़े यौन अपराध मामलों की सुनवाई होगी। अदालत ने केंद्र को निर्देश दिए कि 60 दिनों के भीतर इन विशेष अदालतों का गठन किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ऐसे जिलों में विशेष अदालतों की स्थापना की जाए, जहांपॉक्सो के तहत दर्ज केसों की संख्या 100 से ज्यादा है। 30 दिनों में केंद्र को यह बताना होगा कि इन अदालतों की स्थापना और वहां के अभियोक्ताओं की नियुक्ति को लेकर उसकी क्या योजना होगी?

फॉरेंसिक रिपोर्ट समय पर फाइल हो- सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने कहा- केंद्र यह सुनिश्चित करे किबच्चों के यौन शोषण के मामलों की सुनवाई के लिए संवेदनशील वकीलोंकी नियुक्ति हो।प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट (पॉक्सो) के तहत दर्ज मामलों में राज्य के मुख्य सचिव यह निश्चित करें किफॉरेंसिक रिपोर्ट समय से फाइल हो।

ज्यादा से ज्यादा लोगों को आवाज उठानी चाहिए: ब्रायन

इससे पहले बुधवार कोतृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने राज्यसभा मेंप्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेस (संशोधन) बिल 2019 का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था- बच्चों के खिलाफ यौन शोषण मामलों में ज्यादा से ज्यादा लोगों को आवाज उठानी चाहिए। बच्चों को अच्छे-बुरे स्पर्श के बारे में भी बताना चाहिए।

ब्रायन ने बताया- मैं भारी मन के साथ बताना चाहता हूं कि 13 साल की उम्र में कोलकाता में बस में मेरा यौन शोषण हुआ। सालों तक मैं चुप रहा। लंबे समय के बाद मैंने यह बात अपने माता-पिता को बताई।नया संशोधन बिल बच्चों के यौन शोषण के दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान देता है। हमें भी बच्चों को ऐसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

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