लोकसभा ने विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दी।

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नयी दिल्लीः लोकसभा ने बुधवार को विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दी। इसका उद्देशय़ आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच और अभियोजन की प्रक्रिया में कई कठिनाइयों को दूर करना है। विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन (यूएपीए) विधेयक को विचार करने के लिए रखे जाने का विरोध करते हुए एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने अध्यक्ष से मत-विभाजन की मांग की। सदन ने ओवैसी की आपत्तियों को 8 के मुकाबले 287 मतों से अस्वीकार कर दिया।

इसके बाद ओवैसी ने अपने कुछ संशोधनों पर भी मत-विभाजन की मांग की। इस पर अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की नियमावली के नियम-367 के एक खंड का हवाला देते हुए कहा कि यदि मत-विभाजन की मांग अनावशय़क है तो अध्यक्ष सदस्यों को अपने अपने स्थानों पर खड़े होने के लिए कह सकते हैं। सदस्यों की संख्या गिनकर ‘हां’ और ‘ना’ के पक्ष में मतों की गिनती की जा सकती है। इस बीच मत-विभाजन की ओवैसी की मांग को लेकर भाजपा के कुछ सदस्यों की उनसे नोकझोंक भी देखी गयी और ओवैसी कहते सुने गये, ‘यह मेरा हक है।’? इसके बाद हुए मत-विभाजन में ओवैसी के संशोधनों को सदन ने खारिज कर दिया।

ओवैसी द्वारा पेश संशोधन का समर्थन उनके साथ एआईयूडीएफ, नेशनल कान्फ्रेंस और आईयूएमएल सदस्यों ने भी किया। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए देश में ‘कठोर से कठोर कानून’ की जरूरत है और यूएपीए कानून में संशोधन देश की सुरक्षा में लगी जांच एजेंसी को मजबूती प्रदान करने के साथ ‘आतंकवादियों से हमारी एजेंसियों को चार कदम आगे’ रखने का प्रयास है। गृह मंत्री ने कहा कि यह संशोधन विधेयक केवल आतंकवाद को खत्म करने के लिये है और इसका हम कभी भी दुरूपयोग नहीं करेंगे और करना भी नहीं चाहिए।

विधेयक के उद्देशय़ों एवं कारणों में कहा गया है कि विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1967 संगठनों एवं संगमों के कतिपय विधि विरूद्ध क्रियाकलापों के अधिक प्रभावी निवारण का उपबंध करने के लिये और आतंकवादी क्रियाकलापों से निपटने के लिये तथा उससे संबंधित विषयों का उपबंध करने के लिये अधिनियमित किया गया था। उक्त अधिनियम में आतंकवाद के विभिन्न पहलुओं से संबंधित कतिपय उपबंधों को जोड़ने के लिये वर्ष 2004, 2008 और 2013 में संशोधन किया गया है। वर्तमान में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) आतंकवाद से संबंधित मामलों के अन्वेषण और अभियोजन की प्रक्रिया में कई कठिनाइयों का सामना करता है। कुछ विधिक दुर्बलताओं के कारण आतंकवाद से संबंधित मामलों के अन्वेषण और अभियोजन में एनआईए के सामने आने वाली कठिनाइयों पर काबू पाने के लिये सरकार अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव करती है।

विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक 2019 में कहा गया है कि एनआईए के महानिदेशक को संपत्ति की कुर्की का तब अनुमोदन मंजूर करने के लिये सशक्त बनाना है जब मामले की जांच उक्त एजेंसी द्वारा की जाती है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार को प्रस्तावित चौथी अनुसूची से किसी आतंकवादी विशेष का नाम जोड़ने या हटाने के लिये और उससे संबंधित अन्य परिणामिक संशोधनों के लिये सशक्त बनाने हेतु अधिनियम की धारा 35 का संशोधन करना है। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण के निरीक्षक के दज्रे के किसी अधिकारी को अध्याय 4 और अध्याय 6 के अधीन अपराधों का अन्वेषण करने के लिये सशक्त बनाया गया है।

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