आदिवासियों की उस पुश्तैनी जमीन पर कब्जा करने के लिए ट्रैक्टरों से धावा बोला था प्रधान

सोनभद्र।
राजस्व विभाग की घोर लापरवाही का नतीजा है खूनी संघर्ष

आईएफडब्ल्यूजे के यूपी के सोनभद्र इकाई के जिलाअध्यक्ष विजय विनीत ने दी अहम जानकारी

सोनभद्र।घोरावल तहसील क्षेत्र के उम्भा गांव में 17 जुलाई को भीषण नरसंहार को आदर्श सोसायटी की जमीन को लेकर हुआ विवाद बताया जा रहा था। यूपीवर्किंग जनरलिस्ट यूनियन के सोनभद्र इकाई के जिलाध्यक्ष विजय विनीत ने स्थलीय निरीक्षण के बाद बताया कि 22 जुलाई को जब मैं उस गांव में लखनऊ से आये दो पत्रकारों जय प्रकाश तिवारी व अदिति के साथ पहुंचा तो वहां की स्थिति देखने के बाद एक झटका सा लगा कि अभी तक महत्व पूर्ण मुद्दा खबरों से गायब क्यो। विभिन्न समाचार पत्रों व चैनलों में यह दिखाया जा रहा है की आदर्श सोसायटी की जमीन यज्ञ दत्त प्रधान ने बैनामा ले ली और आदिवासी उसे उस जमीन पर जोत कोड़ करने से रोक रहे थे जिसके चलते मारपीट शुरू हुई और इतनी बड़ी घटना हुई इस पूरे प्रकरण में जितनी मुंह उतनी बातें सुनी जा रही हैं लेकिन

सच्चाई देखने के बाद हमारे साथ गए लोग अवाक रह गए
सचाई यह है कि यज्ञ दत्त ग्राम प्रधान बैनामा ली गई जमीन को जोतने नहीं बल्कि आदिवासियों की उस पुश्तैनी जमीन पर कब्जा करने के लिए ट्रैक्टरों से धावा बोला था जो जमीन सन उन्नीस सौ इक्यावन बावन से ही आदिवासियों के नाम है कैलाश रामपति छोटेलाल ने बताया कि जिस जगह गोली चली वह जमीन हम लोगों के नाम आज भी खतौनी में दर्ज है एक खेत में भागने के दौरान एक कल्टीवेटर भी छूट गया था जिस खेत में वह छुटा था उसका नंबर 17 बताया गया ।

ग्रामीणों ने खतौनी दिखाई और बताया कि प्रधान खतौनी नंबर 24 ,17,20,18, नंबर के खेत में ट्रैक्टरों से छुपाई शुरू कर दी और मना करने पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू की जबकि ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त ने48,49,54ग,55,57,77,94,154क नंबर की जमीन बैनामा ली है जो उस जमीन से काफी दूर है यह बात जब जिलाधिकारी के संज्ञान में डाली गई तो उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है आज इसकी पोस्ट तब हुई जब मुख्यमंत्री द्वारा गठित टीम जांच के लिए उम्भा गांव पहुंची । जब राजस्व कर्मियों ने टीम की मौजूदगी में नापी का कार्य शुरू किया तो सच्चाई परत दर परत सामने आने लगी नापी के बाद साफ हो गया की ग्राम प्रधान उस जमीन को सोसायटी की बैनामा ली गई जमीन की आड़ में अपना चाहता था जो खतौनी में सन19 51 ,52 से उनके नाम दर्ज है तमाम लोग भी यह दलील दे रहे थे की जब यज्ञ दत्त सोसायटी की जमीन बैनामा लिया है तो उस पर आदिवासी जबरिया जुताई करने का का प्रयास क्यों कर रहे थे आज की ना पीछे साफ हो गया कि वास्तव में यज्ञ दत्त को कहीं ना कहीं से संरक्षण जरूर प्राप्त था जिसके चलते वह आदिवासियों की पुश्तैनी जमीन को भी हड़पना चाहता था।इससे साफ जाहिर हो रहा कही न कही राजस्व विभाग की घोर लापरवाही का नतीजा है खूनी संघर्ष।

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