छतीसगढ़
रायपुर। नक्सलियों का गढ़ बन चुके छत्तीसगढ़ में लोगों के बीच विश्वास पैदा करने के लिए पुलिस विभाग का अभियान जारी है। पुलिस एक ओर जहां नक्सलियों पर दबाव बनाने का प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरी ओर जनता के मन से नक्सलियों के डर को कम करने के लिए अभियान चला रही है।
छत्तीसगढ़ के बड़े हिस्से में नक्सलियों का प्रभाव है। वहीं सबसे ज्यादा वारदातें बस्तर में हो रही हैं, यही कारण है कि, इस इलाके में पुलिस और प्रशासन लगातार नवाचार करने में लगे हैं। अफसर मोटर साइकिल से दूरस्थ इलाकों में पहुंच रहे हैं, तो कहीं नक्सल प्रभावित फिल्म बनाई जा रही है। इसी के अंतर्गत अब दंतेवाड़ा में नक्सलियों के स्मारकों को ध्वस्त किया जा रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नक्सली अपने साथी की शहादत को याद रखने और गांव के लोगों में दहशत पैदा करने के मकसद से मारे गए नक्सलियों का स्मारक बना देते हैं। जिन स्थानों पर यह स्मारक बनाए गए हैं, वहां नक्सलियों की गतिविधियां भी बढ़ी हैं और ग्रामीण भी दहशत में रहते हैं। लिहाजा पुलिस प्रशासन ने इन स्मारकों को ध्वस्त करने का अभियान चलाया हुआ है। बताया गया है कि दंतेवाड़ा जिले के ग्राम हिरोली के जंगलों में पुलिस के जवानों ने धावा बोलकर नक्सली नेता लिंगा और वर्गिस की स्मृति में बने स्मारक को ध्वस्त कर दिया है।
दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक डॉ अभिषेक पल्लव ने आईएएनएस से बात करते हुए नक्सलियों के स्मारक ध्वस्त करने की पुष्टि करते हुए कहा, ‘‘जिन स्थानों पर नक्सलियों ने स्मारक बनाए हैं, वहां बैठकों का दौर जारी है, ग्रामीणों को भड़काया जा रहा है, लिहाजा पुलिस ने इन स्मारकों को ही तोड़ना शुरू कर दिया है।’’
बस्तर वह इलाका है जहां बीते लगभग चार दशकों से नक्सलियों की गतिविधियां रही हैं। नक्सली ग्रामीणों को धमकाकर उनका साथ देने के लिए मजबूर करते हैं। यही कारण है कि ग्रामीण चाहकर भी पुलिस का साथ नहीं दे पाते। पुलिस ने नक्सलियों की पकड़ को कमजोर करने के लिए अब उन स्थानों पर सक्रियता बढ़ाई है जहां नक्सली अपनी पकड़ बनाए हुए हैं। उसी के तहत नक्सलियों के स्मारकों को तोड़ा जा रहा है। पुलिस का मानना है कि, नक्सलियों के स्मारकों को ध्वस्त किए जाने से उनका प्रभाव कम होगा।
बीते कुछ दिनों में पुलिस व प्रशासन के नवाचारों पर गौर किया जाए तो एक बात सामने आती है कि सुकमा में जहां जिलाधिकारी चंदन कुमार व पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने मोटर साइकिल पर सवार होकर नक्सल प्रभावित गांवों का दौरा किया तो बाद में यहां पुलिस ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनने के लिए रथ चलाया है। इसके अलावा वह दंतेवाड़ा में नक्सल प्रभावित फिल्म भी बना रहे हैं।