बम विस्फोट ने बदली थी इस बच्चे की जिंदगी, पिता की जंजीर भी अमन को कबीर बनने से नहीं रोक पायी

लावारिस मरीजों को देता है नया जीवन, कितने घरों की लौटा चुका है खुशियां

वाराणसी।कचहरी में हुए बम ब्लास्ट ने एक बच्चे के जीवन को ऐसा बदला कि वह दूसरों के लिए मिसाल बन गया। पिता चाहते थे कि उनका बेटा पढ़ कर बड़ा अधिकारी बने। लेकिन अमन को कबीर बन कर गरीब व लावारिस मरीजों की सेवा करनी थी। पिता को डर लगा था कि उनका बेटा गलत संगत में पड़ सकता है इसलिए घर पर रोकने के लिए हाथों में जंजीर तक बांध दी थी लेकिन अमन सभी जंजीरों को तोड़ कर आज कबीर बन चुका है। पिता जिंदा होते तो बेटे द्वारा किये जा रहे कार्य को देख कर बेहद खुश होते। गरीब व लावारिस मरीजों के लिए मसीहा बन चुके अमन की कहानी दूसरों के लिए भी मिसाल बन सकती है।

दारनगर निवासी राजू यादव के पुत्र अमन यादव उर्फ कबीर की कहानी बेहद प्रेरणादायह हैं। वर्ष 2007 में अमन बनारस के अग्रसेन महाजनी में कक्षा सात में पढ़ता था। 23 नवम्बर 2007 को बनारस के कचहरी परिसर में बम ब्लास्ट हो गया था। इसी दिन अमन इंटरवल में ही स्कूल से भाग कर मालवीय मार्केट पर पहुंचा था यही पर एक न्यूज चैनल में अमन को बम विस्फोट होने की जानकारी मिली। इसके बाद वह सीधे शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल पहुंचा था, जहां पर विस्फोट में घायल हुए लोगों को इलाज के लिए लाया गया था। अमन भी घायलों की मदद करने लगा। पिता ने न्यूज चैनल में अमन को यह सब करते हुए देख लिया। इसके बाद जब वह घर पहुंचा तो पिता ने समझाया कि अभी पढऩे की उम्र है इसलिए पढ़ाई पर ध्यान दे। दूसरे दिन अमन फिर अस्पताल जाकर घायलों का हाल लेने लगा था किसी ने इस बात की शिकायत उसके पिता से कर दी। इसके बाद अमन को घर लेकर पिता पहुंचे और जंजीर से बांध कर पिटाई की। पिता को डर था कि उनका बच्चा गलत संगत में पड़ सकता है। जंजीर से उल्टा लटका कर पिटाई करने के बाद पिता ने शाम को अमन को मलाई खिलाते हुए कहा कि वह पढ़ाई पर ध्यान दे। अमन को दूसरों की मदद करके इतनी खुशी मिल रही थी कि वह सारी जंजीर को तोड़ते हुए समाजसेवा में लग गया। 12 साल तक हजारों गरीब, बेसहारा व लावारिस मरीजों की सेवा करने वाला अमन अब कबीर बन चुका है।

*सड़क पर लावारिस मरीज मिलने पर सभी देते हैं अमन को सूचना
शहर में अमन उर्फ कबीर लोगों में प्रसिद्ध हो चुका है। सड़क पर पड़े लावारिस मरीज को देख कर लोग अमन को फोन करते हैं। अपनी बाइक एम्बुलेंस से पहुंच कर अमन उस मरीज की मरहम-पट्टी करता है और फिर सरकारी अस्पताल में भर्ती करवा कर इलाज भी कराता है यदि मरीज के परिजनों की जानकारी मिल जाती है तो घर वालों तक सूचना तक भी अमन ही पहुंचाता है। अमन के पास आय का कोई जरिया नहीं है, लोग उसे इस काम के लिए चंदा देते हैं जिससे वह मरीजों की सेवा कर पाता है।

झोला लेकर चलने वाले अमन को लोगों ने दिलायी बाइक एम्बुलेंस

अमन के पास संसाधन नहीं थे वह झोला में मरहम-पट्टी लेकर चलता था। एक व्यक्ति ने अमन के मिशन को देखते हुए अपनी बाइक दे दी। कुछ अन्य लोगों ने सहयोग कर उस बाइक को एम्बुलेंस का रुप दे दिया। बाइक में पानी, मरहम-पट्टी व कपड़े रहते हैं जो लावारिस मरीजों के काम आते हैं।

ब्रांडिंग के लिए अमन को मिला था लाखों का ऑफर, कहा गरीबों की सेवा करना मेरा लक्ष्य
अमन ने बताया कि कुछ लोगों ने उसे लाखों का पैकेज देने का ऑफर किया था लेकिन समाजसेवा के साथ उनकी ब्रांडिंग करनी थी मैंने मना कर दिया। मुझे लोगों से इतना चंदा मिल जाता है कि मैं लाचार मरीजों की सेवा कर लेता हूं। इससे अधिक की जरूरत नहीं है।

चन्दा जुटा कर महिला की करायी थी प्लास्टिक सर्जरी,

गरीब पर्यटक के शव का करा चुका है अंतिम संस्कार
अमन ने ऐसे कई काम किये हैं जो दूसरों के लिए मिसाल है। एक महिला को पागल बताते हुए उसके ससुराल वालों ने घर से भगा दिया था। जल जाने से महिला को चेहरा तक खराब हो चुका है। सड़क पर घुम रही इस महिला की अमन ने मदद की थी और 70 हजार से अधिक रुपये चंदे से जुटा कर उसकी प्लास्टिक सर्जरी करायी थी। बाहर से आये एक बुजुर्ग दम्पत्ति में पुरुष की मौत हो गयी थी। महिला अकेले रो रही थी उसके पास इतना पैसा नहीं था कि वह अंतिम संस्कार कर पाती। अमन को लोगों ने बताया कि शव को कंधा देने से लेकर अंतिम संस्कार की सारी प्रक्रिया चंदा जुटा कर पूर्ण करायी।

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