फ्लोरोसिस से जंग लडते लडते, खुद शिकार हो गए जगत नारायण विश्वकर्मा

पानी में घुले मीठे जहर के कारण तेजी से गल रही हैं जगत की हड्डियां
एम्स दिल्ली के डॉक्टरों ने की जगत को मदद की पहल

दुद्धी/ सोनभद्र(भीमकुमार)पिछले दो दशक से सिंगरौली परिक्षेत्र में अबैध खनन ,पेड़ो की कटान और प्रदूषण के खिलाफ आवाज बुलंद करने फ्लोरोसिस पीड़ितों के घर घर जा कर उनकी पीड़ा को सरकार और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुचाने वाले पर्यावरण कार्यकर्ता और पत्रकार जगतनारायण विश्वकर्मा इन दिनों खुद इसके प्रभाव में आ गया है।बीएचयू से हाल ही में अवकाश प्राप्त चिकित्सक डॉ ए के दास ने एक प्रतिष्ठित जांच केंद से ब्लड जांच के बाद बताया कि घटने की हड्डी ग़ल रही है।ऐसे में सम्भावना ब्यक्त किया जा रहा है कि यह फ्लोराईड का असर है।मामलों को यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंस दिल्ली कम्युनिटी मेडिकल हेड डॉ अरुण शर्मा ने इस बात की सच्चाई के लिए बीएचयू के मैक्रोबियोलॉजी इंस्टुईयूट ऑफ मेडिकल साइंस के हेड डॉ गोपाल नाथ से आग्रह किया है कि वह जांच कराए सोमवार को डॉ गोपालनाथ में जगत को जांच के लिए बीएचयू वाराणसी बुलाया है
दो दशक पहले चुप जिले के लोग फ्लोरोसिस नामक रोग के नाम से अनजाने थे तब जगत नारायण विश्वकर्मा ने ही म्योवरपुर ब्लाक के कुशमाहा रापहरी के गांव में अपाहिज हो रहे लोगों की जांच कराई और तब खुलासा किया था कि यह पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण फ्लोसिरोसिस नामक बीमारी के कारण लोग विकलांग को रहे हैं तब से लेकर आज तक जगत नारायण इस मुद्दे को लेकर सड़क से लेकर संसद तक हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष किया एनजीटी ने सोनभद्र मैं हो रहे प्रदूषण के कारण फ्लोरोसिस सहित अन्य गंभीर रोग के रोकथाम के लिए जो दिशानिर्देश जारी किया है वह जगत नारायण के संघर्ष का ही नतीजा है लेकिन आज यह शख्स खुद ही पानी में घुल रहे मीठे जहर का शिकार हो गया सोमवार को बनारस के बीएचयू में डॉक्टरों की एक टीम जगत के ब्लड मे मरकरी की मात्रा और हड्डियों की जांच करेगी।हालांकि चिकित्सको के द्वारा जाँच रिपोर्ट के बाद ही पुष्टि होगी।

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