स्टेशन पर छापेमारी को लेकर   उपजा विवाद डीआरएम तक पहुंचा मामला

कॉमर्शियल विभाग का दावा आरपीएफ नहीं कर सकती इस तरह की छापेमारी।

आरपीएफ का दावा उसने जो भी कार्रवाई की, नियमानुसार ही की।

चंदौली।मुगलसराय से बदलकर दीनदयाल उपाध्याय नगर जंक्शन हुए रेलवे स्टेशन पर छापेमारी को लेकर रेलवे के ही दो विभाग आमने-सामने आ गए हैं। कॉमर्शियल विभाग का कहना है कि आरपीएफ को इस छापेमारी का कोई अधिकार नहीं, जबकि आरपीएफ इसे अपने अधिकार क्षेत्र में बता रहा है। दोनों विभागों में ठन जाने के बाद अब यह मामला मुगलसराय मंडलके डीआरएम तक पहुंच गया है।

⚡दरअसल ट्रेनों और प्लेटफॉर्म के स्टालों पर अवैध पानी व गिलास बेचने के गोरखधंधे की रेलवे को लगातार शिकायत मिलने के बाद इसे संज्ञान में लेते हुए हाजीपुर की सीआईबी टीम ने रेलवे सुरक्षा बल यानि आरपीएफ के साथ मिलकर ऑपरेशन थंडर के तहत स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर छापेमारी की। प्लेटफॉर्म के तीन स्टालों और सियालदह अजमेर एक्सप्रेस से कई कार्टन अवैघ पानी की बोतल और पांच कार्टन गिलास बरामद किया गया। इस मामले में छह लोग गिरफ्तार भी किये गए। डीजीआरपीएफ के आदेश पर सोमवार की सुबह आरपीएफ सीनियर कमांडेंट आशीष कुमार के नेतृत्व में आरपीएफ के जवान इस छापेमारी की कार्रवाई में शामिल रहे।

पर इस छापेमारी के बाद रेलवे का कॉमर्शियल विभाग इस पूरी कार्रवाई पर ही सवाल उठाते हुए इसे गलत बताने लगा। उसके मुताबिक आरपीएफ को आरपीएफ को इस तरह की जांच का कोई अधिकार ही नहीं ।हालांकि आरपीएफ का दावा है कि वो इस तरह की जांच और कार्रवाईयां कर सकती है, यह उसकी हद में है।

इस बीच एक आरटीआई भी सामने आयी है जो 2017 में दिल्ली निवासी नरेश कुमार ने इसी संबंध में मांगी थी कि क्या, रेलवे स्टेशन पर अधिकृत वेंडरों का मेडिकल, फूड लाइसेंस, यूनिफार्म, नम्बर प्लेट, आई कार्ड, क्या बेचने की अनुमति है आदि की जांच आरपीएफ कर सकती है। मंडल वाणिज्य प्रबंधक इसके जवाब में जानकारी दी थी कि नहीं आरपीएफ को इसका अधिकार नहीं। वरीय मंडल वाणिज्य प्रबंधक रूपेश कुमार ने आरपीएफ के अभियान को गलत बताया।

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