17 जुलाई से शुरू हो रहा है सावन का महीना
-प्रयागराज से राजातालाब होते आते हैं कांवरिये
– राजातालाब के पास हो रहा नेशनल हाइवे मार्ग का निर्माण
– मार्ग के किनारे है अतिक्रमण
-कार्यदायी संस्था मौज में
-जिला प्रशासन का भी नहीं है ध्यान
वाराणसी। पीएम मोदी के क्षेत्र में सावन में कांवरियों की राह है कठिन, रास्ते में गड्ढे ही गड्ढे हैं। यानी प्रयागराज से काशी तक नंगे पांव आने वाले कांवरियों को भारी संकट का सामना करना पड़ेगा। खास तौर पर वाराणसी की सीमा में पहुंचने के बाद पूरा रास्ता ही बदहाल है। राजातालाब से लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर तक कहीं गड्ढे तो कहीं उफनते सीवर से हो कर गुजरना पड़ेगा। बता दें कि सावन में न केवल कांवरिया बल्कि डाक बम भी आते हैं काशी वो प्रयागराज संगम से गंगा जल लेकर नंगे पांव दौड़ते आते हैं।
प्रयागराज से जैसे ही राजातालाब पहुंचेंगे पूरे रास्ते भर गड्ढे ही मिलेंगा वह भी खतरनाक बड़े-बड़े गड्ढे। इन गड्ढों में बरसात ही नहीं बल्कि नालों का गंदा पानी भी जमा है। कारण लंबा वक्त हो गया यहां नाले का निर्माण हो रहा है। नाला निर्माण भी अपने ही ढंग से किया जा रहा है। कहीं कोई समान मानक नहीं है। इतना ही नहीं कुछ दबंगों ने इन नालों को पाट कर कब्जा भी कर लिया है जिससे पानी का प्रवाह रुक गया है। इन सब को पहले ही प्रकाशित भी किया था लेकिन जिला प्रशासन और कार्यदायी संस्था को इससे कोई सरोकार नहीं।
स्थानीय निवासी, सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने इन गड्ढों की फोटो खींचकर 20 जून को उस सरकारी ऐप पर लोड किया था जिसके बारे में सरकार यह दावा करती है कि सूचना मिलते ही 48 से 72 घंटों के अंदर सड़कों के गड्ढे पाट दिए जाएंगे। लेकिन 20 जून से अब 9 जुलाई हो गई फिर भी किसी की निगाह नहीं गई उस तरफ। अब तक वे गड्ढे नहीं पाटे जा सके हैँ।
राजकुमार बताते हैं कि राजातालाब पंचक्रोशी रोड वीआईपी रोड है। यही रोड पीएम मोदी बतौर सांसद प्रथम चरण में चुने गए आदर्श गांव जयापुर को जाती है। यही रोड वर्तमान विधायक नील रतन पटेल नीलू के पैतृक आवास शाहंशाहपुर भी जाती है। इसी राजातालाब में पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल का निवास है। बावजूद इसके यह सड़क दशकों से बदहाल है।
ऐसा नहीं कि केवल राजातालाब में ही कांवरियों की राह में गड्ढे हैं। इससे आगे बढ़ने पर मड़ौली, चांदपुर औद्योगिक आस्थान का रास्ता भी बहुत खराब है। सड़कों का हाल बुरा है। इस औद्योगिक आस्थान के सीवर सिस्टम का हाल यह है कि जगह-जगह सीवर उफन रहा है। इस सीवर लाइन के बैकफ्लो के चलते कई फैक्ट्रियों में काम बंद हो गया है। ध्वस्त सीवर लाइन के चलते सड़कों पर या तो जल जमाव है और जहां पानी नहीं वहां गिट्टियां उखड़ चुकी हैं।
चांदपुर औद्योगिक आस्थान से आगे बढेंगे तो पहुंचेंगे मंडुवाडीह बाजार में वहां का भी हाल बुरा है। फिर महमूरगंज पुलिस चौकी से आएंगे आकाशवाणी तक तो कई जगह सड़कें उखड़ चुकी हैं और ये सड़कें हाल के दिनो में नहीं बल्कि उस वक्त से उकड़ी हैं जब बनारस में प्रवासी भारतीय सम्मेलन हुआ था। लेकिन इस तरफ प्रशासन का ध्यान नहीं। आकाशवाणी से रथयात्रा मार्ग का हाल भी बुरा है, आकाशवाणी से सिगरा की ओर जाने वाला रास्ते की तो बात ही नहीं करना, यह मार्ग तो पिछले तकरीबन 10 साल से बन ही रही है। यहां जल निगम की गंगा प्रदूषण इकाई सीवर लाइन बिछाने का काम कर रही है। यहां तो इतने गहरे तक की खोदाई हो रही है कि हाथी भी डूब जाए। कहीं-कहीं के गड्ढों को हाल के रथयात्रा मेले से पहले पाटा गया था पर उन पर चलना खतरे से खाली नहीं।
रथयात्रा से गिरिजाघर पहुंचने पर वहां ऐने चौराहे पर ही मुसीबत झेलनी होगी। गिरिजाघर से गोदौलिया होते दशाश्वमेध घाट और काशीविश्वनाथ तक जाने का रास्ता भी सुगम नहीं है। यानी कुल मिला कर इस बार बाबा धाम पहुंचने के लिए कांवरियों को भारी संकट का सामना करना पड़ेगा।