दुद्धी।(भीमकुमार) आज शनिवार को बढनीनाला स्थित आर एस एस जिला कार्यवाह निवास स्थान पर विराजमान गायत्री त्रिवेणी प्रयाग की पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य त्रिकाल भवन्ता सरस्वती ने कहा कि धर्म क्षेत्र में भी नारियों की बराबर की सहभागिता की बात पुरजोर ढंग से रखी। विवादों से सुर्ख़ियों में रहने वाली साध्वीं ने कड़े शब्दों में कहा कि देशभर पांच दर्जन से अधिक शक्तिपीठों में एक भी महिला पुजारी नहीं है। पुरुष पुजारी ही शक्तिपीठों में विद्यमान देवी के साज श्रृंगार के साथ ही स्नान आदि कराते है। जो सर्वथा अनुचित है। बड़े बड़े मठाधीशों द्वारा शक्ति का अनादर किया जा रहा है| सरकार को इसमें हस्तक्षेप करते हुए धर्म से लेकर अन्य क्षेत्र में आधी आबादी को उनका पूरा अधिकार दिलाने के लिए आगे आना होगा| जब तक आधी आबादी का अनादर होता रहेगा,तब तक देश समृद्धिशाली नहीं हो सकता| तमाम महंतों एवं पिठाधिश्वरों के विरोध के बावजूद नारी स्वाभिमान के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा| सबरीमाला मुद्दे पर कहा कि हर कथा,व्रत आदि में महिलाओं की अग्रणी भूमिका होती है,तो उन्हें मन्दिर प्रवेश से वंचित क्यों किया जा रहा है| एक ओर नारी की पूजा की जाती है,दूसरी ओर उनपर अत्याचार अब यह नही चलेगा| ढोंगी बाबाओं पर भी तीखे हमले करते हुए कहा कि वे इन दिनों भारत भ्रमण के जरिये नारी शक्ति को एकत्र करने के अभियान में लगी है। आगामी कुछ दिनों बाद दिल्ली में नारी संसद का आयोजन किया गया है। उसमे देश भर से नारी समाज के लिए संघर्ष करने वाली महिलाओं को आमंत्रित किया गया है। राम मन्दिर के सवाल का जबाव देते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दलों के साथ ही कुछ साधू संतो द्वारा राजनीति की वजह से रामलला को टेंट में रहना पड़ रहा है। जिस दिन राजनैतिक दलों के एजेंडे से यह मुद्दा हटेगा,उसी दिन से मन्दिर निर्माण का मार्ग शुरू हो जाएगा।