80 नए राजमार्ग बनाएगी यूपी सरकार, आपस में जुड़ेगे संसदीय क्षेत्र, पांच साल में पूरा होगा प्रोजेक्ट

लखनऊ।

– 80 नए यूपी राजमार्ग को लेकर योगी सरकार का ऐलान

– उत्तर प्रदेश के सभी संसदीय क्षेत्रों में बनेंगे 80 नए राजमार्ग

– डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने दी जानकारी

लखनऊ। योगी आदित्यनाथ सरकार पूरे उत्तर प्रदेश में 80 नए राजमार्ग बनाने की तैयारी कर रही है। यूपी सरकार के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने यह ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि सड़कों के मामलों में प्रदेश सरकार एक और महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। राज्य सरकार इस साल तय किए गए लक्ष्य के मुताबिक प्रदेश के सभी 80 संसदीय क्षेत्रों को मिलाकर 80 नए राज्य राजमार्ग बनाने जा रही है। इसके अलावा प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में छोटी नदियों, नालों और नहरों पर दो-दो छोटे पुल बनाने का भी सरकार ने फैसला किया है। उन्होंने कहा कि यह काम जल्द से जल्द शुरू करा दिया जाएगा और पांच साल में इस प्रोजेक्ट को सरकार पूरा करेगी।

*पिछली सरकारों ने नहीं कराया काम*

केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अभी तक की सरकारों ने गांव के लोगों को एक्सप्रेस-वे तक आने के लिए सर्विस रोड तक भी मुहैया नहीं कराई थी। लेकिन हमारी सरकार ने एक्सप्रेसवे, नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे और प्रदेश की किसी भी सात मीटर तक चौड़ी सड़कों वाले 250 तक की आबादी के पांच किलोमीटर दूर तक के गांव को मुख्य मार्गों से जोड़ने के प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है। उन्होंने कहा कि हम तहसील को ब्लाक से जोड़ने का भी काम कर रहे हैं। सड़कों की गुणवत्ता के मामले में जितना सुधार हमारी सरकार में हुआ है, पहले की सरकारों ने उसका आधा भी किया होता तो सड़क पर गड्ढे या गड्ढे में सड़क देखने को नहीं मिलती।

*एशियन विकास बैंक से समझौता*

आपको बता दें कि बीते दो वर्षो में पूरे उत्तर प्रदेश में तकरीबन 1300 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी खुद सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ कर चुके हैं। इसके अलावा प्रदेश सरकार और एशियन विकास बैंक के बीच सड़क निर्माण को लेकर समझौता है। इस समझौते के तहत लखनऊ, उन्नाव, एटा, कासगंज, देवरिया, कुशीनगर, बुलंदशहर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, अलीगढ़, फतेहपुर जनपदों में 426 किमी की लंबाई में 2782 करोड़ की लागत से मार्गों को चौड़ा कराया जा रहा है। इस समझौते के मुताबिक केंद्रीय मार्ग निधि से मिले फंड से सांसदों की वरीयता के अनुसार सड़क निर्माण कराया जाता है।

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