राम मंदिर निर्माण को मुस्लिम संगठन ने की पहल, मुसलमानों से मांगा समर्थन

ऑल इंडिया फोरम फॉर अयोध्या डिस्प्यूट सेटेलमेंट की पहल
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद से विद्या मठ में की बातचीत

वाराणसी।अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाबत सुप्रीम कोर्ट के आपसी सद्भाव से समस्या का हल निकालने का फैसला और इसके लिए तीन सदस्यीय मध्यस्तता कमेटी के गठन के बाद 14 जून को बनारस में इसकी पहल हुई। पहल की ऑल इंडिया फोरम फॉर अयोध्या डिस्प्यूट सेटेलमेंट ने। केदारघाट स्थित विद्यामठ में हुई बातचीत के बाद फोरम के सदस्यों ने 04 बिंदुओं पर अपनी अपील जारी की। उन्होंने मंदिर के लिए मुसलमानों से विवादित जमीन देने की अपील भी की।

फोरम के सदस्यों में एडवोकेट व सामाजिक कार्यकर्ता अमीर हैदर, पूर्व एमएलए मुईद अहमद, पूर्व कमिश्नर कस्टम तारिक गौरी, पूर्व जज बीडी नकवी, सामाजिक कार्यकर्ता वहीद सिद्दीकी, पूर्व आईजी सीआरपीएफ आफताब अहमद खां, जावे, असाम बानों प्रमुख हैं। फोरम के सदस्यों ने कहा कि छह माह से देश के बुद्धिजीवियों से मशविरा करने के बाद इस फोरम ने चार बिंदुओं पर एक प्रस्ताव तैयार किया है। बताया कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने हमारे प्रयास का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि आप अपनी मुहिम जारी रखें।

*फोरम के सुझाए बिंदु*

इस देस के मुसलमान स्वतः सद्भभावना के इरादे से इस बत पर अपनी सहमति प्रकट करते हैं कि अयोध्या स्थित विवादित जमीन राम मंदिर बनाने के लिए दूसरी पार्टी को दिया जाए ताकि वहां राम मंदिर बन सके।

2- उसके बदले में अयोध्या में किसी मुनासिब जगह पर मुसलमानों को लगभग 10 एकड़ जमी आवंटित की जाए जिससे वहां पर मस्जिद का निर्माण हो सके।

3- सबसे खास यह कि इस देश के मुसलमानों को यह आश्वासन दिया जाए कि इसके बाद मुसलमानों के सभी धार्मिक स्थलों की आजादी के समय जो स्थिति थी वह यथास्थिति कायम रहेगी और इस बात की गारंटी सुप्रीम कोर्ट अपनी मोहर लगा ककर देगी और उसको भारत के राष्ट्रपति का अनुमोदन प्राप्त होगा और यह यथास्थिति हमेशा के लिए कायम रहेगी।

4- साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि 1991 में बने द प्लेस ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट 1991 को स्पष्ट और पूर्णतः लागू करवाने की जवाब देही, इलाके के एमपी, एमएलए, डीएम और एसपी की होगी और ऐसा न करने पर उचित अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।

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