मुम्बई ।
मराठवाड़ा और विदर्भ एक बार फिर बूंद-बूंद को तरस रहे हैं. महाराष्ट्र आधी सदी के सबसे बड़े संकट का सामना कर रहा है. इससे निपटने के लिए मोर्चा संभाला है खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने. वो सूखाग्रस्त इलाकों का दौरा कर रहे हैं, अफसरों को हिदायत दे रहे हैं. अब तक 884 सरपंचों से फोन पर बात कर चुके हैं.
राज्य में 151 तहसीलों को सूखा ग्रस्त घोषित किया जा चुका है.
लोगों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने बैंक लोन वसूली पर रोक लगा दी है. किसानों का करेंट बिजली बिल माफ किया गया है.
किसानों को लोन मिले, इसकी भी ताकीद की जा रही है.
कॉलेजों में फीस माफ की गई है.
सरकारी बसों में किराए पर छूट भी दी गई है.
चेक डैम और सड़कें बनाने का काम कराकर, सरकार किसानों को गांव में ही रोजगार देने की भी कोशिश कर रही है.
सूखे में जानवरों की हालत और खराब हो जाती है. और गांव की गाड़ी ये मवेशी ही खींचते हैं. इसलिए ये अलग संकट है. लिहाजा सरकार ने 1234 चारा कैंप लगाए हैं. इससे करीब साढ़े आठ लाख मवेशियों को राहत मिलने की उम्मीद है.
लेकिन ये 1971 के बाद का सबसे भयंकर सूखा है. 1-2 या 5-10 हजार नहीं, साढ़े 27 हजार गांव पानी को तरस रहे हैं. 86 लाख हेक्टेयर जमीन पर फसल बर्बाद हो चुकी है. पिछले साल 70% कम बारिश, और इस साल भी मॉनसून लेट है. सरकार से लोगों की उम्मीदें बड़ी हैं.
गांवों तक पानी पहुंचाने के लिए करीब 5 हजार टैंकर लगाए गए हैं. वैसे महाराष्ट्र सरकार को केंद्र में भी बीजेपी की सरकार होने का फायदा मिला है. केंद्र से करीब 5 हजार करोड़ की मदद मिली है. किसानों के खातों तक ये पैसा पहुंचने पर उन्हें बड़ी राहत मिलेगी. कोई ताज्जुब नहीं कि सीएम ऑफिस का जो हेल्पलाइन नंबर दिया गया है उसपर करीब ढाई हजार शिकायतें आ चुकी हैं.
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