गंगा में जहां होना चाहिये सबसे ज्यादा पानी, वहीं तटों आधा किलोमीटर हुई दूर हुई

गंगा में जल संकट गहराया

गंगा नदी के मध्य में गहराया जल संकट, स्थिति हुई भयावाह।
गाजीपुर । एक तरफ प्रचंड गर्मी पड़ रही है और पूरा उत्तर भारत उसकी चपेट में हैं तो दूसरी ओर ताल तलैया भी सूखे पड़े हैं। जीवन दायिनी गंगा तो तट छाड़कर काफी दूर तलहटी में सरक गयी हैं। इसके चलते सहायक और छोटी नदियां बिल्कुल सूख सी गयी हैं। गंगा नदी अपनी पूरी लम्बाई के बीचो बीच में सिकुड़ गयी है।

गंगा जिसे मोक्ष दायिनी और जीवन दायिनी कहते हैं

पूर्वांचल के अधिकतर हिस्से को तर करती हुई सींचती हुई बीचो-बीच से गुजरी है। 2525 किलोमीटर लम्बी गंगा नदी का मध्य पूर्वांचल के गाजीपुर जिले में स्थित गहमर में पड़ता है। यहां गंगा नदी का पाट भी चौड़ा है। पर इस बार की गर्मी में गंगा नदी अपने मध्य में ही साथ छोड़ती दिख रही हैं। जो नजारा गहमन में गंगा नदी का है वह जहां आम आदमी को निराश करने वाला है तो वहीं पर्यावरण प्रेमी और इसके जानकार इसे भविष्य के लिये बड़ा खतरा बता रहे हैं।

गहमर में गंगा नदी का मध्य है और यहां इसका बहाव उत्तर वाहिनी का है। प्रचंड गर्मी के चलते नदी के जलस्तर में आयी कमी का सबसे ज्यादा असर यहां देखने को मिल रहा है। वर्तमान समय में यहां गंगा का पानी घाट से करीब 500 मीटर दूर खिसक गया है। नदी में बीच में उभरे टीले उसकी भयावाह स्थिति को दर्शा रहे हैं। बनारस के बाद गाजीपुर जिले को गंगा बीचो बीच से चीरती हुई बलिया के रास्ते बिहार की ओर चली जाती है।

इसके चलते जिले की निर्भरता गंगा पर अधिक है। इसके चलते जहां रोजाना हजारों की तादाद में स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है वहीं मछली पकड़कर जीवन यापन करने वालों के सामने भी जीवन यापन का खतरा मंडराने लगा है। मछुआरों का कहना है कि प्रचंड गर्मी के चलते मछलियां उन स्थनों पर चली गयी हैं जहां पानी की गहरायी है। लोगों का कहना है कि अगर जल्द बारिश नहीं हुइ्र तो यह स्थिति और विकराल हो सकती है।

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