जम्मू ।
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आतंकियों से हथियार छोड़ने की अपील करते हुए उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि बातचीत ही रास्ता है जिसके जरिये संविधान के दायरे में वह जो चाहते हैं वह उन्हें मिल सकता है। भारत को हिंसा के जरिये नहीं झुकाया जा सकता। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि आतंक के रास्ते पर गए बच्चों को वापस लाएं। इनकी वापसी के लिए सरकार हरसंभव मदद करेगी। केंद्र सरकार द्वारा उनकी वापसी को लेकर उठाए जाने वाले कदमों पर गंभीरता से विचार कर रही है।
पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हमसे हर चीज ले लीजिए, हम अपनी जान दे देंगे, लेकिन प्यार और वार्ता के जरिये। उसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तैयार हैं, हम तैयार हैं। वार्ता की मेज पर आएं और इसे आगे ले जाएं। जो भी आप चाहते हैं उसे वार्ता के जरिये हासिल किया जा सकता है। आपका अपना संविधान है, आपका अलग झंडा है और भी जो चाहिए वह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिये और संविधान के दायरे में रहकर मिलेगा।
उन्होंने कहा कि आतंकियों को अभी भले इसका अहसास न हो, लेकिन 10 वर्ष में पछतावा होगा कि उन्होंने गलत रास्ता अख्तियार किया। कश्मीर में आतंकवाद की समस्या युवाओं में बेरोजगारी के कारण ही मौजूद नहीं है बल्कि लंबे समय से नेता भी लोगों को गुमराह कर रहे हैं। लोगों को आजादी और कभी-कभी स्वायत्तता के सपने दिखाए गए। उन्होंने कहा कि जब ये चीजें काम नहीं करती है तो कट्टरपंथ के जरिये जन्नत का सपना दिखाते हैं। वह युवाओं से कहना चाहते हैं कि दो स्वर्ग है- एक कश्मीर है और अगर वे अच्छे मुस्लिम बने तो दूसरा भी उन्हें नसीब होगा।
कश्मीर में इस्लामिक स्टेट (आईएस) की मौजूदगी के बारे में कहा कि यह कश्मीर की बर्बादी के रास्ते हैं। कश्मीर के युवाओं को बताना चाहते हैं कि हथियार छोड़ दो और मेरे साथ भोजन करने राजभवन आओ। फिर मुझे बताओ कि जिस रास्ते को तुमने चुना है उससे कश्मीर को क्या मिलेगा। राज्य में विधानसभा चुनाव के सवाल पर कहा कि चुनाव करवाने के समय पर गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग फैसला लेगा। वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। चुनाव के लिए जरूरी सुरक्षा मुहैया कराए जाने पर हम चुनाव कराने को तैयार हैं।
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