मुनीर बख़्स आलम के निधन पर पत्रकारों, साहित्य कारो में शोक की लहर , शोक सभा कर दी गयी श्रद्धांजलि

रामजियावन गुप्ता

बीजपुर (सोनभद्र) प्रख्यात शायर ,यथार्थ गीता के उर्दू अनुवाद और आध्यात्मिक पत्रिका दिव्य प्रभा के संपादक मुनीर बख्श आलम के आस्मिक निधन से क्षेत्र के साहित्यकार ,पत्रकारों एवं संभ्रांतजनो में शोक की लहर दौड़ गयी।वरिष्ठ कवि ,साहित्यकार, पत्रकार कमलेश कमल के आवास पर एक शोक सभा का आयोजन कर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दो मिनट के मौन रखा गया।शोक सभा की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि कमलेश कमल ने कहा कि आलम के निधन के साथ ही सोनभद्र के साहित्य सृजन की वह सशक्त लेखनी सदा के लिए खामोश हो गई जो आजीवन मुफलिसी की जुबान बनकर यथार्थ की जमीन बनकर शहीदों के सपनो के भारत के निर्माण में शिद्दत से लिखती रही उनके निधन से सोनभद्र की जो अपूरणीय क्षति हुई है उसकी भरपाई के लिए अरसों तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। आलम से अपने व्यक्तिगत अंतर संबंधों का जिक्र करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डाक्टर दिनेश दिनकर ने उनके गजल संग्रह ” राहे हक ” की चर्चा करते हुए गहरा शोक व्यक्त किया कहा कि दुख की इस दाहक बेला में ईश्वर उनकी आत्मा को परम शांति प्रदान करते हुए जन्नत बख्से और उनके परिवार को दुस्सह दुख सहन करने की सामर्थ्य दे हमारी यही कामना है।वरिष्ठ पत्रकार विनोद गुप्ता ने कहा अपने आदर्श अध्यापक की हर पल हिफाज़त करते, दुआ – सलाम की भाषा से जीवन का व्याकरण पढ़ाते, बेशुमार
मुहब्बत से इंसानियत को
गले लगाते, अपने शेरों – शायरी से गंगा – जमुनी
संस्कृति की सूखती जड़ों
को अपने हिन्दुस्तानी खून से सींचते, जीवन की यथार्थ गीता रचते और पढ़ते, हर दिल अजीज
आलम सोन को अलविदा
कह गए.. सोने हाल बेहाल हो गया। इस मौके पर अन्य वक्ताओं ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किये।इस अवसर पर मनोज दुबे, रविन्द्र श्रीवास्तव,मुकेश अग्रवाल,असफाक कुरैशी, श्यामकार्तिक दुबे,संजय अग्रवाल, रघुराज सिंह ,दिनेश गुप्ता, आलोक सिंह , रामजियावन गुप्ता के साथ काफी संख्या में संभ्रांत जन उपस्थित रहे।

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