एनटीपीसी प्लांट से कबाड़ चोरी पे नही लग पा रहा हैं लगाम

बीजपुर / स्थानीय रिहन्द परियोजना में कबाड़ चोरों का आतंक इस समय चरम सीमा पर चल रहा है परियोजना के अंदर से बेख़ौफ़ हो कर ताँबा, पीतल, और अन्य कीमती पार्ट सहित लोहा , पाईप का बड़े पैमाने पर चोरी कर मालामाल बनने की होड़ लगी हुई है। गोपनीय सूत्रों पर भरोसा करें तो इसतरह की चोरी में कुछ सुरक्षा कर्मीयो के मिली भगत होने की भी चर्चा तेजी से फैल रही है। अंदर खाने से मिली जानकारी पर भरोसा करें तो कुछ तथा कथित लोग श्रमिक के रूप में इसी कार्य के लिए प्लांट का गेट पास बनवा रक्खे है और अंदर जाने के बाद ताँबा, पीतल, तथा कीमती पार्ट और अलमुनियम केविल , लोहे की पाईप को काट कर प्लांट बाउंड्री के बाहर चिन्हित स्थानों पर फेंक देते हैं बाद में देर रात को बाइक तथा बोलेरो से गाड़ियों में रख कर कबाड़ दुकान और बाजार स्थित एक बर्तन की दुकान में बेचने का कार्य करते है । बताया तो यहाँ तक जाता है कि इस कार्य को कुछ चुनिंदा लोग रोजाना करते है और चोरी के माल में साझेदारी कुछ चिन्हित सुरक्षा गार्ड के अलावा दो चार निजी सुरक्षा गार्डों की भी मिली भगत बताई जाती है। बताते हैं कि अधिकांश चोरी की वारदात इन्ही सुरक्षा गार्डों के डियूटी के दौरान होती है चोरी के बारदात में अच्छे चेहरों के अलावा कुछ सफेद पास किस्म के लोगो का भी नाम बताया जाता है जिनके ऊपर किसी को विश्वास भी नही होगा कि पैसा कमाने के लिए ऐसे लोग इस स्तर पर भी उतर सकते हैं। दीमक की तरह एनटीपीसी को चाटने वाले कबाड़ चोरों की बदौलत बाजार स्थित एक बर्तन ब्यवसाई कल तक खाने को जहाँ लाले था वो आज करोड़ो के खेल से चकाचौध की जिंदगी जी रहा है। इसी तरह राख बांध से प्रति दिन लाखो की ऐश पाइप की कटिंग कर कबाड़ चोर ट्रक और ट्रैक्टरों से बेख़ौफ़ हो कर माल पार कर कबाड़ियों के यहां बेच रहे है। मजेदार बात तो यह है कि तमाम चोरी की घटना होने के बाद भी एनटीपीसी प्रबन्धन एक भी चोरी की घटना का एफआईआर कराने तथा अपने सामान की चोरी होने की कहीं भी पुष्टि नही करती जिसके कारण चोरों का मनोबल दिन दूना और रात चौगुना बना हुआ है।निकट भविष्य में अगर जिला प्रशासन और एनटीपीसी प्रबन्धन के अलावा सीआईएसएफ के उच्चाधिकारी चोरी पर अंकुश लगाने में फेल रहते हैं तो वह दिन दूर नही जब भारतरत्न सम्मान से पुकारे जाने वाली एनटीपीसी का शानदार पावर प्लांट पूरी तरह कबाड़ियों की शरण स्थली बन जाएगी।

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