
दिल्ली।
बरकतों से भरपूर इस्लाम के पवित्र महीने रमजान के बाद भारत में बुधवार 5 मई को ईद उल फितर का पाक त्योहार मनाया जाएगा. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 10वें शव्वाल महीने के पहले दिन मनाई जाने वाली ईद को मीठी ईद के नाम से भी पुकारा जाता है. ईद पर मुस्लिम समुदाय के लोग ईदगाह पर सुबह नमाज पढ़ने जाते हैं. इस दौरान दुनिया में चैन और अमन के लिए दुआ की जाती है. ईद के दिन लोग एक दूसरे को जाकर बधाई देते हैं और एक-दूसरे को सेंवईं परोसकर मुंह मीठा करते हैं।ईद पर दान देने का भी विशेष महत्व बताया गया है।
क्यों मनाई जाती है ईद उल फितर
इस्लामिक (हिजरी) कैलेंडर के अनुसार साल में 2 बार ईद उल फितर और ईद उल अजहा (बकरीद) का त्योहार मनाया जाता है. इस्लाम के नौंवे महीने रमजान के 29 या 30 रोजे ( चांद के अनुसार) पूरे होने के बाद चांद देखने के बाद ईद की घोषणा की जाती है. इस्लाम धर्म में मान्यता है कि ईद मनाने की शुरुआत युद्ध ए बद्र के बाद हुई थी. दरअसल बद्र के युद्ध में पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब ने फतह हासिल की थी जिसकी खुशी में लोगों ने ईद का त्योहार मनाना शुरू किया।
जानिए चांद देखकर कैसे तय होती है ईद की तारीख
दुनिया के सभी देशों में ईद की तारीख की घोषणा करने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन त्योहार की पुष्टि चांद देखकर ही की जाती है. ईद का चांद देखने की प्रक्रिया इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार होती है. खास बात है कि पूरे विश्व में एक ही दिन ईद नहीं मनाई जाती है, हालांकि सभी देशों में महज एक या दो दिन का फर्क होता है. कई देशों के मुस्लिम लोग खुद चांद न देखने के बजाय उन अधिकारियों पर निर्भर होते हैं जिन्हें चांद देखने की जिम्मेदारी दी जाती है।सके लिए वहां की सरकारें कमिटियां भी नियुक्त करती हैं।
अगर भारत की बात करें तो यहां चांदरात पर लोग चांद देखकर ईद का पता लगाते हैं. साथ ही देशभर के मुस्लिम संगठन, मदरसे संगठन या मस्जिद कमेटियां भी ईद के चांद देखकर तारीख की घोषणा करते हैं. वहीं काफी संख्या में लोग और कुछ देश खगोल विज्ञान की मदद से भी ईद की तारीख का पता लगाते हैं।
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