
नई दिल्ली ।
पांच महीने पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता वापसी के बाद बड़ा झटका। फिर इन राज्यों में कांग्रेस की जमीन खिसकी। अब नेतृत्व पर उठने लगे, बढ़ेगी गुटबाजी। वहीं भाजपा ने इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इस्तीफा मांगा है। बड़े कांग्रेसी नेताओं ने भी अपनी सीट न बचा पाने का ठीकरा राज्य सरकार के कामकाज पर फोड़ना शुरू कर दिया है।
पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और मंत्री नवजोत सिंह सिद्ध के बीच बयानबाजी से पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ है। कैप्टन समर्थक सिद्धू को कैबिनेट से हटाने की मांग कर रहे हैं जिससे गुटबाजी और बढ़ेगी। पार्टी नेतृत्व के सामने दोनों नेताओं के बीच छिड़ी जंग पर विराम देना भी चुनौती होगी।
कांग्रेस नेतृत्व के लिए कर्नाटक में सहयोगी जेडीएस के साथ सरकार चलाना भी अब मुसीबतों भरा होगा। राज्य के जेडीएस और कांग्रेस नेताओं के बीच लंबे समय से एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी चल रही है। दूसरी ओर भाजपा भी बार-बार ये कहकर की कांग्रेस के कई विधायक पार्टी के खिलाफ हैं और संपर्क में है। हाल में दो कांग्रेस विधायकों ने फिर बगावती तेवर दिखाए हैं। ऐसे में कर्नाटक की सरकार को खतरा बढ़ सकता है।
दिल्ली में सातों सीटों पर हार के बाद अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए कठिन साबित हो सकते हैं। आप से गठबंधन का दबाव और पार्टी नेताओं के बागी तेवर का भी सामना करना पड़ सकता है। कई राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों समेत केंद्रीय स्तर पर भी पदाधिकारियों को बदलने का दबाव बढ़ सकता है।
भाजपा के लिए जीत के मायने
– पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, तेलंगाना, असम, त्रिपुरा में भाजपा का जनाधार बढ़ा।
– मोदी और शाह की जोड़ी भाजपा में निर्विवाद रूप से सबसे मजबूत बनकर उभरी
– अपने गढ़ों को और ताकतवर बनाया, पिछली बार से करीब 22 फीसदी ज्यादा बढ़त
– जाति, परिवारवाद की राजनीति के वर्चस्व को तोड़ा, मुस्लिम मतदाताओं की असर वाली सीटों पर पैठ
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