
नई दिल्ली ।
चुनाव आयोग ने ईवीएम को मतगणना स्थलों तक पहुंचाने में गड़बड़ी और उनके दुरुपयोग को लेकर मिली शिकायतों को तथ्यात्मक रूप से गलत बताकर खारिज कर दिया। आयोग ने कहा, मतदान में प्रयोग की गयी ईवीएम और वीवीपैट मशीनें स्ट्रांग रूम में पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि मशीनों को मतगणना केंद्र तक ले जाने में और उनके रखरखाव में गड़बड़ी की शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए संबद्ध राज्यों के जिला निर्वाचन अधिकारियों से तत्काल जांच रिपोर्ट ली गई। जांच में पाया गया कि जिन मशीनों के बारे में शिकायत की गई है वे रिजर्व मशीनें थीं। इनका मतदान में इस्तेमाल नहीं किया गया था। मतदान के दौरान ईवीएम में तकनीकी खराबी होने पर उन्हें रिजर्व मशीनों से बदला जाता है।
★ बयान का हवाला
आयोग ने उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, चंदौली, डुमरियागंज और झांसी तथा बिहार की सारन सीट पर मतदान के बाद ईवीएम के दुरुपयोग की आशंका से इनकार किया। आयोग ने झांसी में शिकायत की जांच के बाद निर्वाचन अधिकारी के बयान का हवाला देते हुए कहा, ईवीएम और वीवीपैट को सील करने के बाद स्ट्रांग रूम में सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में सुरक्षित रखा गया है। इन जगहों पर केंद्रीय पुलिस बल के जवान तैनात हैं। स्ट्रांग रूम को उम्मीदवार और उनके निर्धारित प्रतिनिधि कभी भी देख सकते हैं।
★ आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों पर फैसले का हिस्सा नहीं होंगी असहमति
निर्वाचन आयोग ने चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण में अपने सदस्यों के असहमति के विचारों को फैसले का हिस्सा बनाने से इनकार कर दिया। आयोग ने मौजूदा व्यवस्था को ही बरकरार रखने का फैसला किया है। चुनाव आयोग ने कहा कि असहमति और अल्पमत के फैसले को फैसले में शामिल कर सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों को निपटारे में असहमति के मत को आयोग के फैसले में शामिल करने के चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के सुझाव पर विचार करने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा द्वारा मंगलवार को आयोग की पूर्ण बैठक की गई। आयोग ने कहा कि निर्वाचन नियमों के तहत इन मामलों में सहमति और असहमति के विचारों को निस्तारण प्रक्रिया की फाइलों में दर्ज किया जाएगा। लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण में असहमति का फैसला देने वाले लवासा ने उनके मत को भी आयोग के फैसले में शामिल करने की मांग की थी।
वहीं लवासा ने आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण में आयोग के फैसले से असहमति का मत व्यक्त करने वाले सदस्य का पक्ष शामिल नहीं करने पर नाराजगी जतायी थी। लवासा ने पिछले कुछ समय से आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निपटारे के लिये होने वाली आयोग की पूर्ण बैठकों से खुद को अलग कर लिया था।
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