100 अफसर 9 दिन से एक ही दफ्तर से पूरे ओडिशा में राहत कार्य चला रहे; रोज 20-20 घंटे काम कर रहे*

उड़ीसा।

मौसम विभाग ने बता दिया था कि 3 मई को फैनी तूफान ओडिशा के तट से टकराएगा इसलिए हमने 27 अप्रैल को ही अलग-अलग विभागों के 20 अफसर भुवनेश्वर स्थित राजीव भवन के ग्राउंडफ्लोर पर बुला लिए। उसी दिन यहां साइक्लोन कंट्रोल रूम एक्शन में आ गया। अगले कुछ घंटों में 100 अफसरों की टीम बन गई। सीएमओ, रेवेन्यू एंड डिजास्टर, डिजास्टर अथॉरिटी, फायर, पुलिस, ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स, फूड सप्लाई डिपार्टमेंट और कलेक्टरों के साथ कोऑर्डिनेशन शुरू हुआ। तूफान आने से पहले तक हमने एक करोड़ 80 लाख लोगों को एसएमएस भेजकर चेता दिया था। अगले ही दिन हमने 45 हजार स्वयंसेवियों को जोड़ लिया।अथॉरिटीज के साथ स्वयंसेवियों ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई।10 हजार गांवों से 12 लाख लोगों को शेल्टर होम्स तक पहुंचाने में स्वयंसेवियों का सबसे बड़ा योगदान है। इन्हीं लोगों की मदद से हर तटीय गांव में लाउड स्पीकर से अनाउंसमेंट कराई गई।
हमारा काम 27 अप्रैल से अभी तक एक मिनट भी नहीं रुका है। कंट्रोल रूम से जुड़े सभी लोग रोज 20-20 घंटे तक काम कर रहे हैं। ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर सब यहीं हो रहा है। तूफान के बाद कई अफसरों को खबर मिली कि उनके घर टूट गए हैं लेकिन वे अभी तक घर में हुआ नुकसान देखने नहीं गए हैं क्योंकि, अभी पूरी जद्दोजहद प्रभावित लोगों की जिंदगियां पटरी पर लाने की है। हम यहां से अभी इसलिए नहीं हट सकते, क्योंकि कोई नहीं जानता कि कहां कितना नुकसान हुआ है।
यह सब पता करने के लिए अभी फोकस टेलीफोन और इंटरनेट बहाल करने पर है। अभी तक जो अपुष्ट खबरें आ रही हैं, उनसे लगता है कि माली नुकसान 1999 के सुपर साइक्लोन से जरा भी कम नहीं है लेकिन अभी तक 34 लोगों की मौत की खबर है। तटीय इलाकों में मछुआरों के सभी मकान ध्वस्त हो गए हैं, क्योंकि हमने तूफान से पहले ही हर जिले में टीमें तैनात कर दी थीं, इसलिए तूफान के थमते ही जिंदगियों को पटरी पर लाने का काम शुरू हो पाया। 3 मई को करीब 30 लाख घरों की बिजली गुल हो गई थी इनमें से 10 लाख घरों में बिजली बहाल की जा चुकी है। पुरी, खुर्दा, भुवनेश्वर, कटक सहित कई जिलों में बिजली-टेलीफोन लाइनें ठप हैं। वहां केवल सैटेलाइट फोन और हैम रेडियो के जरिए संपर्क हो पा रहा है। बाकी प्रभावित जिलों में बीएसएनएल और एक-दो निजी मोबाइल कंपनियों की सेवाएं बहाल हो चुकी है। एक बार टेलीफोन लाइनें और इंटरनेट सेवा शुरू हो जाए तो सभी जिलों से संपर्क हो सकेगा उसके बाद नुकसान का आकलन हो पाएगा।
*-विष्णु पद सेठी* ओडिशा के स्पेशल रिलीफ कमिश्नर (भुवनेश्वर के साइक्लोन कंट्रोल रूम से)

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