खेल डेस्क. द कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (खेल पंचाट) ने दक्षिण अफ्रीका की रनर कैस्टर सेमेन्या की टी-लेवल (टेस्टोस्टेरॉन लेवल) मामले में दाखिल अर्जी को खारिज कर दिया है। खेल पंचाट ने कहा है कि सेमेन्या को यदि भविष्य में वुमन कैटेगरी में दौड़ना है, तो उन्हें अपने टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन्स कम कराने होंगे। इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन (आईएएएफ) ने सेमेन्या के शरीर में हार्मोन्स की मात्रा ज्यादा बताते हुए उनके वुमन कैटेगरी में दौड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके खिलाफ सेमेन्या ने खेल पंचाट में अर्जी दायर की थी।
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सेमेन्या ओलिंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स 2-2 और वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 3 गोल्ड जीत चुकी हैं। कैस्टर 2009 में पहली बार वर्ल्ड चैम्पियनशिप में दौड़ी थीं। तब उन्होंने 1500 मीटर रेस में 4:08.01 मिनट का समय निकाला था। हालांकि, आईएएएफ ने कैस्टर का जेंडर टेस्ट कराया। टेस्ट में पता चला कि उनके शरीर में रिसने वाले टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन की मात्रा बहुत ज्यादा है।
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टेस्ट रिपोर्ट के बाद फेडरेशन ने कैस्टर के वुमन कैटेगरी में दौड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। फेडरेशन ने कहा था कि अगर सेमेन्या रनिंग करना चाहती हैं, तो उन्हें पुरुष कैटेगरी में दौड़ना होगा या फिर उनको मेडिकल प्रोसेस के जरिए शरीर का टी-लेवल (टेस्टोस्टेरॉन लेवल) कम कराना होगा। इसके पीछे फेयर प्ले की दलील दी गई।
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अर्जी खारिज होने पर 28 साल की सेमेन्या ने कहा कि यह नियम सही नहीं हैं। वे नैसर्गिक रूप से दौड़ना चाहती हैं, क्योंकि बचपन से उन्हें दौड़ने का शौक था।नियमानुसार सेमेन्या और उनकी तरह के दूसरे एथलीट्स को 400 मीटर या उससे ऊपरके इवेंट में दौड़ने के लिए दवाएं लेकर हार्मोन्स ठीक कराने होंगे या फिर अपना इवेंट बदलना होगा।
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टेस्टोस्टेरॉन मेल हार्मोन है। यहपुरुषों के शरीर में ही होता है। इसकी मात्रा 300 से 1000 नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर के बीच हो सकती है। टी-लेवल से मूड, शारीरिक और मानसिक सक्रियता तय होती है। महिलाओं में इसकी मात्रा 20 से 30 होती है, जिसे नगण्य माना जाता है। कैस्टर सेमेन्या के शरीर में यहटी-लेवल बढ़कर 400 से 500 के बीच पहुंच गया है। इसी वजह से वे अन्य महिला एथलीट्स से जेनेटिक रूप से काफी ज्यादा मजबूत हैं।
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एथलीट्स के लिए अच्छा टी-लेवल बेहद अहम होता है। टी-लेवल जितना अच्छा, उतना ही अच्छा स्टैमिना और स्ट्रेंथ। अमूमन मेल एथलीट्स में टी-लेवल 500 से ज्यादा होता है। एक्सरसाइज करने, मनपसंद खाना खाने, पसंदीदा काम करने तक से टी-लेवल बढ़ता है। एक हजार में से महज 7 महिलाओं में ही टी-लेवल बढ़ा हुआ पाया जाता है। अनुमान के मुताबिक, दुनिया में 1% से भी कम महिलाओं में ऐसे केस देखे जाते हैं।
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जब आईएएएफ ने महिलाओं की रेस को टी-लेवल के आधार पर बांटने के फॉर्मूले पर विचार शुरू किया तो यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर ने इस पर रिसर्च किया। पता चला कि महिलाओं में टी-लेवल नापने का तो गणित ही गलत है।
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रिसर्च टीम ने कहा,’ब्लड टेस्ट के जरिए ही टी-लेवल का पता लगाया जा सकता है। इससे बड़ा सच ये है कि किसी भी इंसान का टी-लेवल दिन में कई बार बढ़ता-घटता रहता है। ये उसके मूड और अन्य कई कारणों पर निर्भर करता है। आईएएएफ ने जो टी-लेवल टेस्ट कराए हैं, उनमें इसका ख्याल नहीं रखा गया,इसलिए ये दोषयुक्त है।’