भारत-ऑस्ट्रेलिया चौथे टेस्ट में अभी दो दिन का खेल बाकी है। ऑस्ट्रेलिया के पास टेस्ट बचाने के दो ही रास्ते हैं- या तो उनके खिलाड़ी असाधारण खेल दिखाएं या फिर इंद्रदेवता उन पर मेहरबान रहें। हां, एक बात जरूर तय है- तीसरे दिन तक की स्थिति को देखते हुए भारत अब ये टेस्ट मैच हार तो नहीं सकता।
ऑस्ट्रेलिया में भारत पहली सीरीज जीत के करीब
इसका मतलब हुआ कि टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया में अपनी पहली सीरीज जीत की उम्मीद कर सकती है। भारतीय क्रिकेट इतिहास को संजोने वाले लोगों की कलम इस ऐतिहासिक लम्हे को दर्ज करने के लिए तैयार हो चुकी होगी। ऑस्ट्रेलिया में भारत की सीरीज जीत 1971 में वेस्टइंडीज में और 2004 में पाकिस्तान में मिली जीत के ही समकक्ष होगी।
स्मिथ-वॉर्नर की गैरमौजूदगी के बावजूद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत आसान नहीं
माना कि स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर की गैरमौजूदगी में ये ऑस्ट्रेलियाई टीम कुछ कमजोर थी। हालांकि, यह कहकर हम भारतीय टीम से उनका श्रेय नहीं छीन सकते। ये सीरीज जीत 71 साल के इंतजार के बाद दस्तक दे रही है, जो अपने आप में काफी कुछ कहती है।
शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत है टीम इंडिया
मौजूदा भारतीय टीम निडर है। खिलाड़ियों के पास अद्भुत शारीरिक और मानसिक फिटनेस है। आप कहेंगे कि ये दोनों बातें तो पिछली टीमों में भी रही हैं, तो इस बार क्या अंतर रहा? जवाब है- गेंदबाजी। पिछले कुछ साल में भारत का गेंदबाजी आक्रमण बेहद संतुलित हुआ है, जो किसी भी टीम के 20 विकेट लेने में सक्षम है।
पुजारा ने बल्लेबाजी विभाग की जिम्मेदारी निभाई
दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में भी गेंदबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन वहां बल्लेबाजी प्रभाव नहीं छोड़ पाई। अब ऑस्ट्रेलिया में बल्लेबाजों ने भी जिम्मेदारी उठाई और नतीजा सामने है। भारतीय बल्लेबाजी की सफलता की धुरी रहे- चेतेश्वर पुजारा।
पुजारा ने गावस्कर-सरदेसाई और सहवाग-द्रविड़ की याद दिलाई
जबरदस्त धैर्य और फोकस, शानदार तकनीक और मैच सिचुएशन की गजब की समझ के दम पर पुजारा ने ऑस्ट्रेलियाई बॉलिंग अटैक को डॉमिनेट किया। वे अब तक सीरीज में तीन शतक के साथ 521 रन बना चुके हैं। कुछ इसी तरह का योगदान 1971 की विंडीज सीरीज जीत में सुनील गावस्कर-दिलीप सरदेसाई का, 1986 में इंग्लैंड में दिलीप वेंगसरकर का और 2004 की पाकिस्तान जीत में वीरेंद्र सहवाग-राहुल द्रविड़ का रहा था।
वॉर्नर-स्मिथ के लिए भी बुमराह का सामना आसान नहीं होता
फिर बात जसप्रीत बुमराह की। उनका एक्शन, तेजी और कंट्रोल तो वॉर्नर-स्मिथ की भी परीक्षा लेने में समक्ष होता। इन दोनों का साथ पूरी टीम ने दिया। बल्लेबाजी में कोहली, रहाणे, पंत, अग्रवाल, विहारी और गेंदबाजी में शमी, इशांत, अश्विन, जडेजा और कुलदीप ने अपना-अपना काम बखूबी किया।
मुरली, राहुल और उमेश से मिली निराशा
हालांकि मुरली विजय, केएल राहुल और उमेश यादव ने इस दौरे पर निराश किया। इसके बावजूद मौजूदा भारतीय टीम संतुलित है। खिलाड़ी व्यक्तिगत तौर पर और टीम के तौर पर फॉर्म, फिटनेस, उत्साह और जीत की भूख को किस तरह जारी रख पाते हैं, इससे ही टीम की भविष्य की सफलता तय होगी। लेकिन एक बात तो साफ है- अच्छे दिन की आहट तो मिल रही है।
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