लाइफस्टाइल डेस्क. पेड़, एग्रीकल्चरल वेस्ट और पुरानों कपड़ों से नए कपड़े बनाए जा सकते हैं। फिनलैंड के जिवॉयसकॉयला की कंपनी इसे बना रही है। पर्यावरण संरक्षण कोबढ़ावा देने वाली कंपनी स्पिनोवा इसे तैयार कर रही हैं। कंपनी का लक्ष्य पर्यावरण को संरक्षित करने के साथ अपशिष्ट पदार्थों के इस्तेमाल से कपड़े तैयार करना है।
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कंपनी ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिसकी मदद से सेल्यूलोज से फायबर बनाया जा सकता है। कंपनी ने अपने पायलट प्रोजेक्ट के तहत 2018 में ही एक फैक्ट्री स्थापित की थी। यहां मशीनें लकड़ी के गूदे और कृषि अपशिष्ट को फायबर में तब्दील करती हैं। इस फायबर को बुन कर कपड़ा तैयार किया जाता है।
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कंपनी का कहना है कि कॉटन के मुकाबले इस फायबर से कपड़े तैयार करना जाना बेहतर है। कॉटन को तैयार करने के लिए काफी मात्रा में पानी की जरूरत होती है जिसमें पेस्टिसाइड का इस्तेमाल भी किया जाता है। फायबर से कपड़े बनाने की प्रक्रिया में पानी का काफी कम इस्तेमाल होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस प्रक्रिया में ऐसे पेड़ों की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है जिन्हें सिंचाई की जरूरत नहीं। इस प्रक्रिया में खतरनाक रसायनों का भी प्रयोग भी नहीं किया जाता।
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कंपनी ने लकड़ी के गूदे का इस्तेमाल किया है लेकिन वह दूसरी चीजों से भी फायबर बनाने के लिए प्रयोग कर रही है। जैसे गाजर का गूदा और कॉटन के पुराने कपड़े। कंपनी के मुताबिक, पुराने कपड़ों का इस्तेमाल वापस नया कपड़ा बनाने में किया जा सकता है। कंपनी को हाल ही में फायबर में इनोवेशन कने के लिए वर्ल्ड चेंजिंग आईडियाज का अवॉर्ड भी मिला है।