महिलाएं जिन्होंने पुरुषों के क्षेत्र में बनाया मुकाम, बनीं वुमन इक्वेलिटी की रोल मॉडल

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लाइफस्टाइल डेस्क.2019 में अंतराराष्ट्रीय महिला दिवस ‘थिंक इक्वल, बिल्ड स्मार्ट, इनोवेट फॉर चेंज’ की थीम के साथ दुनियाभर में मनाया जा रहा है। इस मौके पर हम बता रहे हैं ऐसी महिलाओं के बारे में जिन्होंने न सिर्फ लैंगिक असमानता से पार पाते हुए अपनी जगह बनाई, बल्कि मील का पत्थर भी साबित हुईं। फाइटर प्लेन से उड़ान भरने वाली पहली महिला पायलट अवनी हों या रिजर्व बैंक में पहली महिला मुख्य वित्तीय अधिकारी की जिम्मेदारी संभालने वाली सुधा बालाकृष्णन, इन्होंने पुरुषों के क्षेत्र में बराबरी की नजीर पेश की है।

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    • वर्ष 1988 में देश में सूचना प्रौद्योगिकी तथा बीपीओ के व्यापारिक संघ का गठन नैसकॉम के नाम पर किया गया। इसके मुखिया पद पर शुरुआती 30 वर्षों से ही पुरुषों का वर्चस्व रहा। लेकिन इंटेल साउथ एशिया की पूर्व प्रबंध निदेशक देबजानी घोष पहली ऐसी महिला के तौर पर सामने आईं, जो न सिर्फ इस संगठन की मुखिया बनीं, बल्कि ऐसे वक्त पर उन्होंने इसकी कमान संभाली, जबकि देश की जीडीपी में 8 फीसदी की भागीदारी निभाने वाला यह सेक्टर सबसे कठिन दौर में है।
    • नेसकॉम के सदस्यों की संख्या करीब 2400 से अधिक है जिसमें से 250 से अधिक सदस्य यूएस, यूके, यूरोपीय संघ, जापान तथा चीन, की कम्पनियां हैं। नेसकॉम की वर्ष 2017 में आई एक स्टडी ‘वुमन एंड आईटी स्कोरकार्ड’ के अनुसार भारतीय तकनीकी क्षेत्र में महिलाओं के सामने कई तरह की समस्याएं हैं।
    • एक ही उम्र में अपना कॅरिअर शुरू करने वाले पुरुष और महिलाओं के बीच जब तुलना की गई तो पाया गया कि उच्चे पद पर पहुंचने के लिए महिलाओं को लंबा वक्त तय करना पड़ता है, जबकि पुरुष युवा अवस्था में ही उस पद और वेतन को पा लेते हैं। इस सर्वे में करीब 55 कंपनियों की भागीदारी रही। देबजानी की नियुक्ति ने इस रिपाेर्ट को और भी पुख्ता कर दिया। 11,698 अरब रुपए की आईटी इंडस्ट्री में एक महिला अध्यक्ष को पहुंचने में 30 वर्षों का वक्त जरूर लगा, लेकिन देबजानी ने पुरुष प्रधान क्षेत्र में सेंध जरूर लगाई।
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    • अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स ट्रैक पर इंडियन एथलीट के हाथों में तिरंगा देखने कीभारतीयों की इच्छा को असम में रहने वाली 18 साल की हिमा दास ने पूरा किया।
    • उन्होंने आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।
    • वे विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप की ट्रैक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। यूनिसेफ ने उन्हें यूथ एंबेस्डर के तौर पर भी नियुक्त किया।
    • शुरुआत में हिमा को फुटबॉल खेलने का शौक था, वे अपने गांव के आस पास के छोटे-मोटे फुटबॉल मैच खेलकर 100-200 रुपए जीत लेती थीं। इन मैचों में खिलाड़ी को काफी दौड़ना पड़ता है, जिससे हिमा का स्टैमिना अच्छा रहा और वह ट्रैक पर भी बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रहीं।
    • हिमा एक संयुक्त परिवार से हैं। उनके घर में कुल 16 सदस्य हैं। वे जिस गांव में रहती हैं, वहां अक्सर बाढ़ के हालात बन जाते हैं। वह अक्सर बाढ़ की वजह से कई-कई दिन तक प्रैक्टिस नहीं कर पाती थी, क्योंकि जिस खेत या मैदान में वह दौड़ की तैयारी करती थीं वह लबालब हो जाता था। लेकिन हिमा के जज्बे ने उसे गुवाहाटी के रास्ते अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाई।
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    • फरवरी 2018 में भारतीय वायुसेना की फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी अकेले फाइटर जेट उड़ाने वाली देश की पहली महिला बन गईं।
    • उन्होंने गुजरात के जामनगर एयरबेस से रूस में बने मिग-21 से उड़ान भरी। वर्ष 2014 में उन्होंने राजस्थान की वनस्थली यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर साइंस से बीटेक की डिग्री ली। इसके बाद इंडियन एयरफोर्स की परीक्षा पास की।
    • 25 साल की अवनी ने हैदराबाद एयर फोर्स एकेडमी में अपनी ट्रेनिंग पूरी की है।
    • समुद्र के रास्ते दुनिया की परिक्रमा पर निकली नेवी की छह महिला अफसरों ने भी आठ महीने में 18 हजार मील का सफर पूरा किया।
    • इसी तरह तान्या सान्याल को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने फायर फायटर के रूप में भी नियुक्त किया।
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    • मुस्लिम समाज में नमाज के नेतृत्वकर्ता इमाम पद पर हमेशा से ही पुरुषों का अधिपत्य रहा है। लेकिन 26 नवंबर 2018 को केरल की जामिता बीवी ने सार्वजनिक स्थल पर शुक्रवार की नमाज की अगुआई कर इस मिथक को भी तोड़ दिया।
    • ऐसा करने वाली वे भारत की प्रथम महिला बनीं। माना जाता है कि केवल महिला नमाजी होने पर ही स्त्री को इमाम बनाया जा सकता है, लेकिन 34 वर्षीय जामिता बीवी का कहना है कि कुरान में ऐसा कोई आदेश नहीं है कि केवल पुरुष से नमाज अदा करवा सकते हैं।
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    सड़क हादसे में कोई आपके सामने दुर्घटनाग्रस्त हो तो अस्पताल ले जाने वाले आदमी को अब पुलिस प्रताड़ना का सामना नहीं करना पड़ता है।

    2016 के सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के पीछे भी इंदु मल्होत्रा ही हैं। सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा ने देश को गौरवान्वित करने वाले उस क्षण का महसूस करने का मौका दिया, जब वे बार काउंसिल से सीधे जज बनने वाली पहली महिला के तौर पर सामने आईं।

    वर्तमान में पहला ऐसा मौका है जब सुप्रीम कोर्ट में एक साथ दो-दो महिला जज हैं, जस्टिस आर भानुमति और आज से जस्टिस इंदु मल्होत्रा।

    बतौर वकील इंदु ने शीतल पेय बनाने वाली कंपनी पेप्सिको इंडिया, इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन, अस्पताल चलाने वाली कंपनी मेदांता, कंसल्टेंसी कंपनी केपीएमजी जैसी कई बड़ी कंपनियों का प्रतिनिधित्व किया है।

    इंदु के पिता ओम प्रकाश मल्होत्रा भी सुप्रीम कोर्ट के वकील रह चुके हैं। दिल्ली में पली-बढ़ी, इंदु ने कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल, दिल्ली से शुरुआती पढ़ाई की।
    जज बनने से पहले वे लगातार 30 वर्षों तक सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करती रहीं। 1988 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड की परीक्षा पास कर गोल्ड मेडल हांसिल किया। उन्होंने आर्बिट्रेशन लॉ पर किताब भी लिखी है।

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    • भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सीनियर बल्लेबाज मिताली राज न सिर्फ महिला वनडे क्रिकेट में दुनिया में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली पहली क्रिकेटर बनीं, बल्कि टी20 मैचों में 2000 रन बनाकर वे भारतीय विरोट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी से भी आगे निकल गईं।
    • मिताली दुनिया की पहली ऐसी महिला क्रिकेटर बन गईं हैं जिनके नाम पर 200 वनडे मैच हैं। वनडे में उनका औसत 51.33 का है और नाबाद 125 रन उनकी सर्वश्रेष्ठ पारी रही।
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    • इंडियन एयरपोर्ट्स में 3311 फायर फाइटर्स के बीच तान्या सान्याल अकेली महिला फाइटर हैं।
    • निर्माण के बाद से पहली बार एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने पहली बार महिला फायरफाइटर को नियुक्त किया है।
    • विमानों की लैंडिंग के वक्त विमानतलों पर फायर सर्विस का मौजूद होना जरूरी होता है।
    • तान्या की नियुक्ति से पहले प्राधिकरण के पास 3310 फायर फाइटर्स थे, लेकिन सभी पुरूष। तान्या को एयरपोर्ट प्राधिकरण के पूर्वी क्षेत्र की कमान सौंपी गई है, जिसमें कोलकाता, पटना, भुवनेश्वर, रायपुर, गया और रांची शामिल हैं।
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    • भारतीय रिजर्व बैंक ने सुधा बालकृष्णन को न सिर्फ पहली महिला के तौर पर बल्कि पहले व्यक्ति के तौर पर भी चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर नियुक्त किया।
    • इससे पहले सुधा नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड में उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत थीं।
    • सुधा पेशे से एक चाटर्ड अकाउंटेंट हैं। बजट के अलावा भविष्य निधि की दरें तय करने का जिम्मा भी उनके पास ही है।
    • फिलहाल वे बैंक खाता विभाग की प्रभारी हैं। केंद्रीय बैंक के देश और विदेशों में निवेश का कार्य भीदेखती हैं।
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