यूटिलिटी डेस्क. परीक्षा का टाइम टेबल देखते ही हर घर में मार्शल लॉ लागू हो जाती है। पूरी दिनचर्या तय कर दी जाती है कि बच्चा कब उठेगा, कब खाएगा, कब खेलेगा, कब पढ़ेगा यहां तक की कब सोएगा भी। स्कूल की परीक्षा एक ऐसी घड़ी है जिससे बच्चों को सबसे ज़्यादा डर लगता है। लेकिन सही योजना और सकारात्मक सोच के साथ परीक्षा की तैयारी की जाए तो कुछ हद तक डर कम किया जा सकता है। परीक्षा से पहले और उसके दौरान परीक्षार्थी कैसे तनाव से बच सकते हैं।
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परीक्षा से तो सभी को डर लगता है। लेकिन परीक्षा से जितना दूर भागेंगे, मन में उतना ही डर बढ़ता जाएगा। अगर डर को दूर भगाना है तो इसका डटकर सामना करें। अच्छी परीक्षा देने के लिए सकारात्मक सोच बहुत ज़रूरी है। अपने दिमाग़ पर नकारात्मक विचार बिल्कुल भी हावी न होने दें। अपनी कमज़ोरियों को स्वीकार करें ताकि आप उन्हें दूर करने का प्रयास शुरू कर सकें।
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परीक्षा के समय ज़्यादातर बच्चों की ये शिकायत होती है कि उन्हें घर से बाहर खेलने के लिए मना किया जाता है। वो अगर बाहर खेलेंगे तो उन्हें चोट भी लग सकती है। अगर मन बहलाने के लिए बाहर खेलना चाहते हैं तो इसके और भी कई रास्ते हैं। घर पर संगीत सुनिए, किताबें पढ़िए या घर के अंदर जो खेल खेले जाते हैं वो भी खेल सकते हैं।
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परीक्षा में सिर्फ़ शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से स्वस्थ रहना भी ज़रूरी है। रोज़ाना सुबह नियम से योग करें। आठ घंटे की पूरी नींद लेना न भूलें। परीक्षा में दिनभर पढ़ना ज़रूरी नहीं है। जितना भी पढ़ रहे हैं ध्यान से और मन लगाकर पढ़ें। अगर आप अपनी नींद के साथ समझौता करेंगे तो दिमाग़ थका हुआ रहेगा। इससे तनाव भी बढ़ सकता है।
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समय प्रबंधन पर उचित ध्यान दें। हर विषय को समय के अनुसयार बयांट लें। जो विषय कमज़ोर है, उसे ज़्यादया समय दें। सिलेबस दोहरयाते वक़्त सबसे पहले उन विषयों या टॉपिक को पहले दोहरयाएं जिनमें आप कमजोर हैं।
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