हेल्थडेस्क. मोबाइल टावर के जाल के बीच कभी-कभी ऐसा महसूस होता है, जैसे एक चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं और इसे भेदना आपके बस में नहीं है। मोबाइल टावर और इससे निकलने वाले रेडिएशन को लेकर बहुत सारी भ्रांतियां हैं। क्या सारे मोबाइल टावर ख़तरनाक हैं। हम आपको बता रहे हैं किकैसे पता करें कि जहां आप रह रहे हैं वह टावर खतरनाक है या नहीं…
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आपके घर के आसपास कितने टावर हैं इसका पता आसानी से लगाया जा सकता है। tarangsanchar.gov.in/EMF Portal पर अपना नाम, लोकेशन, ई- मेल व मोबाइल नंबर डालकर आप टावर की जानकारी ले सकते हैं। इसमें लोकेशन बदल कर अन्य जगहों के टावर की जानकारी भी ले सकते हैं। एक व्यक्ति एक दिन में अधिकतम दस साइट की जानकारी ले सकता है। अगर आप जानना चाहते हैं कि आपके घर के आसपास कितना रेडिएशन है, तो इसके लिए आपको 4 हज़ार रुपए चुकाने होंगे। इसके बाद घर पर इंजीनियर्स की एक टीम उस जगह का मुआयना करती है और रेडिएशन का स्तर देखा जाता है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन(डीओटी) की ओर से निर्धारित की गई मात्रा से रेडिएशन अधिक मिलने पर डीओटी में शिकायत की जा सकती है।
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भारत में रेडिएशन के मानक अंतरराष्ट्रीय मानकों से दस गुना ज़्यादा सख़्त हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेडिएशन की सीमा 4.5 वॉट प्रति वर्ग मीटर से लेकर 9 वॉट प्रति वर्ग मीटर है। जबकि भारत में यह 0.45 से 0.9 वॉट प्रति वर्ग मीटर है। हालांकि इस कारण बेहतर फोन कॉल के लिए ज़्यादा टावर लगाने की ज़रूरत पड़ती है, लेकिन इससे रेडिएशन बढ़ने की आशंका नहीं होती।
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भले ही रेडिएशन से कोई बड़ी बीमारी के सबूत न मिले हों, लेकिन मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल से सिरदर्द, सिर में झनझनाहट, थकान, चक्कर आना, डिप्रेशन, नींद न आना, आंखों में ड्राइनेस, काम में ध्यान न लगना, कानों का बजना, सुनने में कमी, याद्दाश्त में कमी, पाचन में गड़बड़ी, अनियमित धड़कन, जोड़ों में दर्द के साथ-साथ प्रजनन क्षमता में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए लंबी देर तक बात करने के लिए हैंडफ्री, ईयरपीस या ब्लूटूथ का इस्तेमाल करें। साथ ही रात में सोते समय मोबाइल सिरहाने न रखें। बच्चों और और प्रेगनेंट महिलाओं को भी मोबाइल फोन के ज़्यादा इस्तेमाल से बचना चाहिए। इसके अलावा सिग्नल कम होने या बैटरी लो होने पर भी फोन इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। मोबाइल को शर्ट की जेब में रखने से बचें क्योंकि इससे दिल को नुकसान पहुंच सकता है।
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मोबाइल टावर या मोबाइल से होने वाले रेडिएशन से डरने की ज़रूरत नहीं है। देश में हुए व्यापक अध्ययन में भी रेडिएशन से किसी भी तरह की बीमारी के सबूत अभी तक नहीं मिले हैं। हालांकि तय
सीमा से अधिक रेडिएशन होने पर ज़रूर नुक़सान होने की आशंका है। लेकिन अधिक रेडिएशन के इक्का-दुक्का के स ही सामने आए हैं। 2011 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के अध्ययन में सामने आया कि रेडिएशन के कारण दिमाग़ और स्पाइन में एक तरह का कैं सर ग्लिओमा पनप सकता है। हालांकि इसकी आशंका भी बेहद न्यून है।