बारामुला. संसद पर हमले के मामले में फांसी पर चढ़ाए गए अफजल गुरु के बेटे गालिब गुरु का कहना है कि उसे गर्व है कि उसके पास आधार कार्ड है। लेकिन और ज्यादा खुशी तब होगी जब उसका भारतीय पासपोर्ट बन जाएगा। गालिब का कहना है कि पासपोर्ट बनने के बाद उसे इंटरनेशनल मेडिकल स्कॉलरशिप मिल सकती है। नीट की तैयारी कर रहे गालिब ने कहा कि मौका मिला तो भारत के मेडिकल कॉलेज में अपनी सेवाएं देगा।
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2001 में संसद पर हमले के मामले में अफजल गुरु को 2013 में फांसी दी गई थी। उसकी पत्नी तबस्सुम और बेटा गालिब गुरु गुलशनाबाद में रहते हैं। गालिब अपने मामा गुलाम मोहम्मद की देखरेख में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा है। उसका कहना है कि अगर भारत के किसी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नहीं मिला तो उच्च शिक्षा के लिएवह विदेश जाना पसंद करेगा।
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गालिब का कहना है कि उसके पिता अफजल गुरु शेर-ए-कश्मीर मेडिकल साइंसेज इंस्टीट्यूट के छात्र थे। लेकिन वह अपनी पढ़ाई को पूरा नहीं कर सके। अपनी मां की तरफ निहराते हुए वह कहता है कि जो काम पिता नहीं कर सके, उसे वह पूरा करना चाहता है। डॉक्टर बनना ही उसका सपना है।
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अफजल गुरु को फांसी देने के बाद कश्मीर घाटी में एक माहौल बन गया था, जिसमें आतंकी सरगना युवाओं को हथियार उठाने का आह्वान कर रहे थे। अफजल के नाम पर आतंकी संगठन युवाओं को बरगला रहे हैं। पुलवामा हमले को अंजाम देने वाला आदिल अहमद डार भी इसी कड़ी का हिस्सा था। गालिब का कहना है कि उसकी मां ने उसे आतंक के साए से बचाकर रखा।
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गालिब और उसका परिवार किसी से भी कश्मीर पर बात तक नहीं करते। अफजल के बेटे का कहना है कि मां ने उसे सीख दी थी कि अगर कोई कुछ कहे तो उसका जवाब मत देना। उसका कहना है कि मां ही उसके लिए सबसे ऊपर है। उसे कोई मतलब नहीं कि लोग क्या कहते हैं?