नई दिल्ली.जंग के दौरान भारतीय जवान दुश्मन पर करारा प्रहार कर सकें, इसके लिए सरकार ने उन्हें एके-203 राइफलों से लैस करने की योजना बनाई है। भारत और रूस के ज्वाइंट प्रोजेक्ट के तहतइनका निर्माण अमेठी की इंडो-रशियन राइफल फैक्ट्री में शुरू हो गया है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगले तीन साल में 7.5 लाख नई असॉल्ट राइफलें जवानों को मिल जाएंगी। डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत बनाई जा रहीं राइफल मौजूदा एके-47 का अपग्रेड वर्जन है।
उत्तरप्रदेश केअमेठी में रविवार को इंडो-रशियन राइफल प्राइवेट लिमिटेड के उद्घाटन के मौके पर सीतारमण ने रूस के राष्ट्रपति पुतिनका संदेश पढ़ा। इसमें पुतिन नेकहा, ”भारत-रूस के बीच रक्षा क्षेत्र में अहम सहयोग रहा है। रूस सात दशकों से भारत को युद्ध सामग्री प्रदान करता रहा है। यह ज्वाइंट प्रोजेक्ट युवाओं को रोजगार देने में मददगार साबित होगा। साथ ही नई राइफलें भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को भी मजबूती देंगी।”
अभी सेना के पास इंसास राइफलें
सेना, नौसेना और वायुसेना के पास अभी भारत में तैयार की गईं इंसास राइफलें हैं। अब इंसास की जगह उन्हें एके-203 से लैस किया जाएगा। पहले चरण में नई राइफलें तीनों सेनाओं को दी जाएंगी। इसके बाद अर्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस को भी इनसे लैस किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि अगले 15 से 20 सालों में सारे बल इंडो-रशियन राइफलों से लैस हो जाएंगे। सरकार ने 10 साल पहले नई राइफलों की खरीद की योजना बनी थी, लेकिन कोई न कोई पेंच फंसता रहा।
अमेरिकी कंपनी से भी खरीदी जा रही राइफलें
रक्षा मंत्रालय ने अमेरिकी कंपनी से भी 72 हजार राइफलें खरीदने के लिए करार किया है। 7.69 एमएम बोर वाली 59 कैलिबर की सिगसॉर राइफलें उन जवानों को दी जाएंगी जो उग्रवाद और आतंकवाद से सीधे तौर पर जूझते हैं। सरकार का मानना है कि एलओसी पर पाक सेना से जूझने वाले और आतंकवादियों से लोहा लेने वाले सेना के जवानों के पास कारगर हथियार होने जरूरी हैं। हथियार भी ऐसे हों जो जवानों की हर जरूरत को पूरा करने में सक्षम हों।
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