नई दिल्ली. भारत-पाकिस्तान में बढ़ते तनाव के बीच अमेरिकी संस्था इंटरनेशनल फिजिशयन फॉर द प्रिवेंशन ऑफ न्यूक्लियर वॉर समेत कई देशों ने परमाणु जंग के खतरे को टालने की बात कही है। कहा जा रहा है कि अगर दोनों देशों ने अपने आधे परमाणु बमों का भी इस्तेमाल किया तो दुनियाभर को इसके नतीजे भुगतने होंगे। दोनों देशों के बीच हमेशा बने रहने वाले इस खतरे का कुछ वक्त पहले एटमॉस्फियरिक साइंटिस्ट ब्रायन टून ने विश्लेषण किया था। उनके मुताबिक, भारत-पाक ने एकदूसरे पर परमाणु बम दागे तो दो हफ्ते में धुआं पूरी धरती को ढंक लेगा। बरसों तक दुनिया के कई हिस्सों में बारिश नहीं होगी।
साइंटिस्ट का अनुमान
- 35 वर्ष से परमाणु बमों के असर पर अध्ययन कर रहे एटमॉस्फियरिक साइंटिस्ट ब्रायन टून ने न्यूक्लियर वॉर पर एक बार टेड टॉक में बताया था कि भारत-पाक के बीच परमाणु जंग हुई तो क्या होगा? उन्होंने कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध हुआ तो हम सभी मारे जाएंगे। दो हफ्ते में धुआं पूरी पृथ्वी को ढंक लेगा। यह पृथ्वी की सतह से 20 से 30 मील ऊपर होगा। वर्षों तक बारिश नहीं होगी। धुआं बरसों तक बना रहेगा।
- टून का कहना था, ‘‘भारत और पाकिस्तान से हजारों मील दूर बैठा कोई किसान आसमान में धुआं देखेगा और फिर अपने खेत की उस फसल को देखेगा जो सूर्य के प्रकाश के बिना और जरूरत से ज्यादा ठंड की वजह से बर्बाद हो चुकी है। परमाणु जंग के बाद खराब मौसम की वजह से हमें बरसों तक गेहूं, चावल और मक्का 10 से 40% कम मिलेगा। इस क्षमता में पूरी दुनिया के पास आबादी के लिए महज 60 दिन का खाद्यान्न बचेगा। ऐसे मे हमें ज्यादा खाद्यान्न पैदा करना होगा।’’
दो करोड़ लोगों की जान जाने का खतरा, एक अरब लोग भुखमरी की चपेट में आएंगे
नोबेल प्राइज से सम्मानित संस्था इंटरनेशनल फिजिशयन फॉर द प्रिवेंशन ऑफ न्यूक्लियर वॉर की सदस्य इरा हेलफैंड ने अनुमान लगाया था कि भारत-पाक के बीच परमाणु जंग के बाद दो करोड़ लोगों की जान को खतरा रहेगा। दुनिया में एक अरब लोग सिर्फ भूख की वजह से मारे जाएंगे। एटमी जंग के बाद तापमान हिमयुग से भी निचले स्तर पर जा सकता है। हम न्यूक्लियर विंटर में होंगे। कोई फसल नहीं पनपेगी। इससे धरती की 90% आबादी भुखमरी से मारी जाएगी। मानव सभ्यता के समक्ष खतरा हो जाएगा और कोई सुरक्षित नहीं रहेगा।
पाक के पास बम ज्यादा, लेकिन परमाणु हथियारों और मिसाइलों की रेंज में भारत आगे
पाक की मिसाइलों की रेंज आधे हिंदुस्तान तक
पाकिस्तान के पास कम दूरी की मिसाइलें- नस्त्र, हत्फ, गजनवी और अब्दाली हैं। इनकी मारक क्षमता 60 से 320 किमी है, जबकि मध्यम दूरी की मिसाइलें- गौरी और बशाहीन की मारक क्षमता 900 से 2700 किमी है। अगर इन दोनों मिसाइलों सेहमला होता है तोदिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, भोपाल, नागपुर, लखनऊ इसकी जद में आ सकते हैं।
भारतीय मिसाइलों की जद में पूरा पाकिस्तान
भारत के पास कम दूरी की मिसाइल पृथ्वी है। इसकी मारक क्षमता 350 किमी है। अग्नि-I की रेंज 700 किमी, अग्नि-II 2000 किमी और अग्नि-III की रेंज 3000 किमी है। ये सभी सेना में शामिल की जा चुकी हैं। अग्नि-V डेवलपमेंट स्टेज में है। यानी इन मिसाइलों की मदद से भारत पाक के सभी शहरों को निशाना बना सकता है। अगर भारत पाक पर परमाणु बम गिराता है तो इससे रावलपिंडी, लाहौर, इस्लामाबाद, नवशेरा और कराची शहर पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे।
भारत और पाकिस्तान की परमाणु नीति
भारत ने साल 1999 में अपनी ‘नो फर्स्ट यूज’ की परमाणु नीति घोषित की थी। इसके मुताबिक, भारत कभी भी परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल नहीं करेगा। भारत केवल परमाणु हमला होने की स्थिति में अपने परमाणु बमों का सहारा लेगा। जबकि पाकिस्तान की ऐसी कोई नीति नहीं है। यह केवल पाकिस्तान के हाई कमान पर निर्भर करता है कि उन्हें कब और किस स्थिति में परमाणु हमला करना है। 1999 में पाक विदेश मंत्री ने ‘नो फर्स्ट यूज’ वाली परमाणु पॉलिसी को नकारते हुए कहा था, हम अपने देश की सुरक्षा की दिशा में हर जरूरी हथियार का इस्तेमाल कभी भी कर सकते हैं।
पाकिस्तान ने करगिल युद्ध के दौरान तैनात कर दिए थे परमाणु हथियार
1999 में करगिल युद्ध करीब दो महीने तक चला था। इस दौरान भारत ने अपने क्षेत्र से पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया था। युद्ध खत्म होने के तीन साल बाद 2002 में यह खुलासा हुआ था कि पाक ने इस दौरान परमाणु हथियार तैनात कर दिए थे। CIA एनालिस्ट ब्रूस रिडल ने बताया कि 1999 में यूएस सैटेलाइट चित्रों से पता चला था कि पाकिस्तान ने भारत पर हमले के लिए परमाणु हथियारों को तैनात कर दिया था। उन्होंने बताया था, ‘यूएस ने यह भयावह स्थिति देखते हुए तुरंत अपने कूटनीतिक प्रयासों के जरिए पाकिस्तान को परमाणु हथियारों के प्रयोग से रोका था।’
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