हेल्थ डेस्क. डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेकर इसे दूसरों को बेचने वाले 2100 लोगों को चीन में बेनकाब किया गया है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से तैयार हुए फेस रिकग्निशन प्रोग्राम की मदद से बीजिंग में अपराधियों को पहचाना गया है। ये ऐसे लोग जो रोजाना अपॉइंटमेंट के लिए जाते थे और नंबर मरीजों को बेचकर कमाई करते थे ताकि उन्हें लाइन में न लगना पड़े।
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चीन ने सितंबर 2018 से अस्पतालों में फेस रिकग्निशन की शुरुआत की थी। बीजिंग स्थित जियांग्शी प्रोविंशियल पीपुल्स हॉस्पिटल पहला अस्पताल था जिसमें यह सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। बीजिंग में अब 30 से अधिक अस्पतालों में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
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चीन में भ्रष्टाचार और बाजार में मौजूद नकली चीजों को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा जगहों पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग बढ़ रहा है। वर्तमान में चीन फेशियल रिकग्निशन की मदद टॉयलेट पेपर के वितरण में गड़बड़ी से लेकर सड़क को गलत क्रॉस करने वाले लोगों की पहचान कर रहा है।
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- बाजारों में नकली चीजों से लेकर, भ्रष्टाचार और अस्पतालों में कालाबाजारी रोकने के लिए चीन ने फेस रिकग्निशन की शुरुआत की थी। फेस रिकग्निशन के लिए पहली बार यूजर को प्रोफाइल बनानी पड़ती है।
- आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से चेहरे का डाटा रिकॉर्ड कर लिया जाता है कुछ ही सेकंड में प्रोफाइल बन जाती है। एक बार रजिस्ट्रेशन होने के बाद यूजर के लिए अस्पतालओं में बिल के पेमेंट से लेकर डॉक्टर के अपॉइंटमेंट तक का काम आसान हो जाता है।
- इसमें न तो किसी कार्ड का इस्तेमाल होता है और न ही मोबाइल नंबर मांगा जाता है।
- इस तकनीक की मदद से चीनी लोगों की आदतों, स्वभाव से लेकर उनके जीन तक नजर रखी जा रही है। जिसकी हर जानकारी सरकार के पास मौजूद है। जिसका उपयोग लोगों को शाबाशी या सजा देने में किया जा रहा है।
- सामाजिक कार्यकर्ता इसका विरोध कर रहे हैं उनकाकहना है कि यह सिस्टम लोगों के साथ न्याय नहीं कर रहा है।